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पृष्ठ संख्या
गाथा संख्या
१०६ से १०८ १०६ से ११४
४६
५२
११५
५७
५८
५६
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११७ ११८ ११६ १२० १२१ १२२
६०
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१२३ १२४ १२५ १२६ १२७ १२८ १२६ से १३०
[ ७ ] विषय निर्जराकी वृद्धिके स्थान बहुत निर्जरा किसके होती है ?
लोकानुप्रेक्षा लोकाकाशका स्वरूप लोकमें क्या है ? यदि द्रव्य नित्य हैं तो उत्पत्ति व नाश किसका होता है ? लोकका विस्तार दक्षिण उत्तरका विस्तार और ऊंचाई ऊंचाईके भेद लोक शब्दका अर्थ जीवद्रव्य वादर सूक्ष्मादि भेद वादर सूक्ष्म कौन कौन हैं ? साधारण प्रत्येकके सूक्ष्मपना साधारणका स्वरूप सूक्ष्म बादरका स्वरूप प्रत्येक और उसका स्वरूप तथा भेद पंचेन्द्रियके भेद अठयाणवे जीवसमास तथा तिर्यंचके पिच्यासी भेद मनुष्योंके भेद पर्याप्तिका वर्णन शक्तिका कार्य पर्याप्त नित्यपर्याप्तका काल लब्ध्यपप्तिका स्वरूप एकेन्द्रियादि जीवोंके पर्याप्तियों की संख्या प्राणोंका स्वरूप और संख्या एकेन्द्रियादि जीवोंके पर्याप्त अवस्था में प्राणों की संख्या एकेन्द्रियादि जीवोंके अपर्याप्त अवस्थामें प्राणों की संख्या विकलत्रय जीवोंके स्थान
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१३२ से १३३ १३४
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