Book Title: Jiv Samas Arth Sahit Author(s): Rasik Muni Publisher: Moolchandji Rupchandji View full book textPage 7
________________ श्री जिनेन्द्राय नमः अथ जीवसमास संक्षिप्तार्थ kavach ॥ जैनाचार्य श्रीमद् विजयने मिसूरीश्वरप्रशिष्य श्रीवल्लभविजयजी सदुपदेशतः ॥ अर्थ लखनार - पंडित चंदुलाल नानचंद-सिनोर - अवतरणः - श्री वाली वायनाना परंपरागत अर्थने अनुसारे श्री पूर्वायायै श्येस मा जीवसमास अथमां अभिधेय माहि અનુધને પ્રતિપાદન કરનારી આ પ્રથમ ગાથા ૨૪ જિનેશ્વરને નમસ્કારરૂપ માઁગલાચરણ પૂર્વક કહેવાય છે. दस चोइस य जिणबरे चोदसगुणजाणए नमसित्ता । चोइस जीवसमासे समासओऽणुक्कमिस्सामि ॥१॥ .. प्राथार्थ:--इ भने यो भेंटो योवीस निनेश्वरा के यौ गुना ( १४ शुशुस्थानना) लघुनार छे तेशने नभस्वार गPage Navigation
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