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श्रीजम्बूद्वीपशान्तिचन्द्री - या वृत्तिः
॥१२०॥
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णं भंते! भरहे वासे सालीति वा वीहि गोहूमजवजवजवाइ वा कलममसूरमुग्गमास तिलकुलत्थणिप्फावआलिसंद्गअयसि कुसुंभ को वकंगुवरगरालगसणसरिसवमूलगबीआइ वा ?, हंता अस्थि, णो चेव णं तेसिं मणुआणं परिभोगत्ताए हबमागच्छंति, अस्थि णं भंते ! भर बासे गड्डा वा दरीओवायपवायविसमविज्जलाइ वा !, णो इणट्ठे समट्ठे, भरहे वाले बहुसमरमणिजे भूमिभागे पण्णत्ते, से जहाणामए आलिंगपुक्खरेइ वा०, अत्थि णं भंते! भरहे वासे खाणूइ वा कंटगतणयकयवराइ वा पत्तकयवराइ वा ?, णो इणट्ठे समट्ठे, ववगयखाणुकंटगतणकयवरपत्तकयवरा णं सा समा पण्णत्ता, अत्थि णं भंते! भरहे वासे डंसाइ वा मसगाइ वा जूआइ वा लिक्खाइ वा ढिकुणाइ बा पिआइ वा, ?, णो इणट्ठे समट्ठे, ववगयडंसमसगजूअलिक्खर्दिकुणपिसुआ उवद्दवविरहिआ णं सा समा पण्णत्ता, अस्थि णं भंते! भरहे अद्दीइ वा अयगराइ वा ?, हंता अस्थि, णो चेव णं तेसिं मणुआणं आवाहं वा जाव पगइभद्दया णं ते वालगगणा पण्णत्ता, अस्थि णं भंते ! भरहे डिंबाइ वा डमराइ वा कलहबोलखारवइरमहाजुद्धाइ वा महासंगामाइ वा महासत्यपडणाइ वा महापुरिसपडणार बा!, गोयमा ! णो इणट्टे समट्ठे, ववगयवेराणुबंधा णं ते मणुआ पण्णत्ता !, अत्थि णं भंते ! भरहे वासे दुग्भूआणि वा कुलरोगाइ वा गामरोगाइ वा मंडळरोगाइ वा पोट्ट० सीसवेअणाइ वा कण्णोद्वअच्छिणहदंतवेअणाइ वा कासाइ वा सासाइ वा सोसाइ वा दाहाइ वा अरिसाइ वा अजीरगाइ वा दओदराइ वा पंडुरोगाइ वा भगंदराइ वा एगाहिआइ वा बेआहिआइ वा तेआहिआइ वा चउत्थाहिआइ वा इंदुग्गहाइ वा धणुग्गद्दाइ वा खंदग्गहाइ वा कुमारग्गद्दाइ वा जक्खग्गद्दाइ वा भूअग्गहाइ वा मच्छसूलाइ वा हिअयसूलाई वा पोट्ट० कुच्छि० जोणिसूलाइ वा गाममारीइ वा जाव सण्णिवेसमारीइ वा पाणिक्खया जणक्खया कुलक्खया वसणन्भूअमणारिआ !, गोयमा ! णो इणट्ठे समट्ठे, ववगयरोगायंका णं ते मणुआ पण्णत्ता समणाउसो ! (सूत्रं २४ )
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| २वक्षस्कारे प्रथमारके नरावासा
दिव. सू.
२३-२४
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