Book Title: Jambu Gun Ratnamala
Author(s): Jethmal Choradia
Publisher: Jain Dharmik Gyan Varddhani Sabha

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Page 14
________________ क। सती शिरोमण जग जांची, भोग में रंक्क नराची, मेतो बात करी काची। उपकारण तुंबै सांची । ० ॥ १ ॥ रहनेमनै, राज मती । धीर करसी उपदेश जती, पासे ने पंचम गति । ज्युं उधारयो तुं सेती ॥ ६० || २ || बारे बरन संजम पाल्यो स्नेह दोष रंचन टाल्यो । नागला सांमी फिर नाल्यो. चरित खोक में नहीं चल्यो | ० || ३ || गुरु चिन्ता मणि कर दीनो. गेरी कांकर ले लीनो । इमपछताको बहुकीनो । 2. मान्यो गुण निज स्त्री नो । दृ ॥ ४ ॥ संजम सुद्ध फिर आदस्यो । अत ही दुष्करतप करयो । कर्म रूप रिंपु सुं डरो। तर दोष से उधरयो । दृ० ।। ५ ।। नागला बाला ब्रह्मचारी | पाली श्रावक व्रत भारी । स्वर्ग गई कार सारी । होगई एका अवतारी ॥ ० ॥ ६ ॥ भाव देव भव भय हरतो । श्रातम निंदा बहु करतो । उत्तम करणी अनुसरतो । निरतिचार पाले चरतो ० ॥ ७ ॥ अंत समे ऋण सण कीधो, आराधन अमृत पीधो । सप्त सागर सुरपद लीधो । मार्ग बता दियो सती मीधो । ० ॥ ८ ॥ गीत नृत्य मंगल तूरा | मकव्या सुकृत अंकूरा । विलसी सुर सुख हिल्लूरा । आऊभव तिथ भया पूरा । दृ० ॥ ६ ॥ घवि के महा विदेह आया । वीत सोगा नगरी राया । पद्म रथ सुत कहवाया । माता वन माला जाया । ६० ||१०|| आनंद रंग विनोद भयो । जाचक नो दलिदर गयो । नरपत कुल दीपक थयो । शिव कुंवर जी नाम दियो । ० ॥। ११ ॥ वधता जैसे निशामणी । धवरावे पांचे जणी ! अष्ट वर्ष वय सुत तणी । कला महोत्तर सुध भणी । ह० ॥ १२ ॥ भोगां समर्थ जाणियां । परात्री भल राजिया | पांच सह परमाणीया परतिखते इंद्राणियां । ० ཞཱ སྠཽ ཝཿ ལྦ ྂ, गुण टाक १

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