Book Title: Jambu Gun Ratnamala
Author(s): Jethmal Choradia
Publisher: Jain Dharmik Gyan Varddhani Sabha

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Page 35
________________ माला रात विश्रामो त्यां लह्योरे । सूतो छत पे जाय । प० ॥ २९ ॥ अर्द्ध निशारे अवसरेरे । दिवलो लेई हाथ ।। लघु करण सुता न सरी रे । देखी घाली बाथ ॥ ५० ३० ॥ हार गलारो पापीद्योरे। तो हूं बां तोय । काम अंध खोली दियोरे । भ्रष्ट हुवा ते दोय ।। प० ३१ ॥ प्रात हुवांथी संचरीरे । निजपुर आयो साह । सयण संबंधी भार्यारे । मिलियां ऊपनो उच्छाह ॥ प० ३२ ॥ तुरत तेडी अंग जारे। आवी सताची चाल । बाप बेटी मिलिया तदा । गल में बैया घाल ॥ ५० ३३ ॥ बैठा आपस में जोवतारे हार पे निजर पडाय । संभारी पूर्व वारतारें । मनमें घशा पछताय ॥प० ३४ ॥ लेई फांसी पुत्री मरीरे । बाप विगोनो जमार । पहिली कुसील ज्यो त्यागतारे । क्चुं होता ते खबार ॥ प०३५ ॥ एह स्वरूप संसार नोरे। बाई कुवेरा निहाल । संतोपाणी थिर थईरे । द्वादशमी ए ढाल ॥ ५० ३६ ॥ ॥दोहा ॥ करम चरी सुण चिनवे धृग पड्या संसार । करणी कर हिव ऊतरू जगते जलधि के पार ॥ १॥ उत्तम सतीयां पाखती । लीनो संजम भार । दुष्कर तप प्रारंभियो । पातक जार नहार ॥२॥ क्षण २ निंद आतमा, ध्यावे उज्जल ध्यान । अशुभ कर्म झाटिक लह्यो । निरमल अवधिजु ज्ञान ॥ ३ ॥ ढाल भ्रात मात सुंदेखियो काम भोग विलसात । बिमष बाट विपिया तणी। धन जे जन लंघात ॥४। ल्याऊ एहने दाऊं निज रूप । गुरुणी से अनुमति लही त्यां आई धर चूंप ॥ ५॥ ॥ ढाल तेरमी । नवल चंदनी होके साजन | ए देशी ।। मथुरा अावी साधवी होके चतुरा वेश्या

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