Book Title: Jambu Gun Ratnamala
Author(s): Jethmal Choradia
Publisher: Jain Dharmik Gyan Varddhani Sabha

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Page 34
________________ । गुण रत माला पृ.२८ ॥५० १५ ॥ तिम अवसर पधारियारे । ज्ञानवंत झुनिराज । प्रसन करे तिहां अाय केरे। किम विगड्ये मुज काज ॥१० १६ ॥ संत कहे देवाणु पियेरे। अशुभ कर्म प्रयोग । निंदणीक कामो बणेरे । करवो हर्ष न सोग ॥१० १७॥ केम कुमाया पाप मैंरे । कृपा करी कहो नाथ । धणी धणियाणी थे ग्रह्योरे। शील व्रत बेहूं साथ ॥ ५० १८॥ कामा तुरपा डोस णीरे । कामर चायो तोय । त्याग भंजाया पापणीरे । पूर्व भव इम जोय ॥ प०१६॥ प्यारी बाहेली ताहरीरे । मरि कर गणिका थ य । तसु कूखे तूं ऊपनीर । ई घाल बूहाय ॥ प० २० ॥ कर्म चरी सुण थर हरी रे । रोमाञ्चि थई काय । हूरे अधन्य अभागणी रे। रोवे नैण भराय ॥ ५० २१॥ दे विश्वास ऋपी सरूरे । एहै अनादी रीत । सुण दृष्टांत आगे हुवारे । तातरू तनुजा फजीत ॥प० २२ ॥ गर्भवती स्त्री छोड नेरे । कंथ गयो परदेश । प्रसवी पाछे पुत्रि कारे । रूपवती सुविशेष ॥प० २३ ॥ यौवन वंत कुमारि कारे। जाणी पत्र लिखाय । वरजोगी वाई थइरे। परणावो इहां आय ॥ ५० २४ ॥ प्रति उत्तर तद लिख दियारे । हमने पुरसत नाय । आपां तुल्य घर देख नेरे । दीज्यो थे परणाय । प० २५ ॥ अाछो सगारथ देख नेरे । कियो अनेरे ग्राम । सावो सुझाई तुर्त हीरे । फेकर दिया ताम ॥ ५० २६ ॥ शक्ति सारूं दे डायनो रे । विदा कियो जापात । घरणी ले घर आवि यारे । अागल अचरज वात ॥ प०२७॥ पिता प्रदेश सं चालियोरे । कामसु निव्रत थाय । तिमही नगर में उतरचोरे । सगपण खबर न पाय ॥ प० २८ ॥ समधी मकान रे पाखतीरे. । हुती एक सराय । २

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