Book Title: Jambu Gun Ratnamala
Author(s): Jethmal Choradia
Publisher: Jain Dharmik Gyan Varddhani Sabha

View full book text
Previous | Next

Page 40
________________ जंतु रत्र मि०१४ ॥ कूट वाधरी कीथी तेहने । काढी चोका बार। लाड लडोव गोदी लेई । सो तिरियारो यार ॥ गुण मि० १५॥ भाग्य जोग मुनिराज पधास्या। जिणही पाडा मझार भैसा सरदत पाये लागो । धामे चहु विध आहार ॥ मि ० १६ ॥ अहो अकजं २ मुखसे राम वदंत । किसी प्रकारज इहां दीठो । फुरमा वे। भंग वंत माला ॥ मि० १७ ॥ बाप मार भोजन निपजाव्यो। मा काढी दुद कार। रिपुजी बरा करे चोचला । माठो तुम आचार ॥मि ०१८॥ऋषे ऋषीश्वर लिंक चवता । हम लाधो भेद । असतन वाला किमए सांची । संसय दीजे छेद ॥मि० १६॥ हिंसामत रोस्यो पापी। दियः तुझ उपदेश जनक तिहारो झोढे वेढो। सोफल एह लहेश ॥मि०२२॥ अम्बा सुनी तुम प्रमदारे । व्यभिचारी एवाल । किम पतियाजे चिहुंवतावो । जीवन पद् प्रतिपाल ॥ मि० ॥ २१ ॥ निधान वतासी एही कुत्ती। सें दोल खविरतंत । पूर्व जाति सुमरण हुई । चाली लारतुरंत ॥ मि० २२ ॥ दिना रारी चरीगाठीथी । पग मुंखो दवताय । गुझरू आगम बात मिलता । महीसर अचरजयाय । मि०२३॥ प्रति बोधाणो मुनिपदवंद्या । आदरीया व्रतजह । कूतरी अणसण कर सुभजोग । पामी सद्गत तेह मि०॥२४॥ तारक तारे भाव उधारे। इम विध प्रभवा जाण कगुरु डुबोवे भव २ रोवे । पामे नहीं निर्वाण मि० ॥ २५ ॥ एक मूर्ख घर आंव लगाई । पोतो गंगा जाय । माहिं बैठो उदक उछाले । लोगां पूछयो आय ॥ मि०२६।। माहरे घर पोलाऊं वाग । आयो रोप सहकार । इम किम पहुंचे जोग पयंपे । रेग् मूर्ख गंवार ॥ मि० २७ ॥ एम बडेरा ने नाहिं पूगे । पाछल कीधा कर्म । सुकृत दुकृत निज कृत भोगे । अवर छै झूटा भर्म ॥ मि० २८ | ढाल

Loading...

Page Navigation
1 ... 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96