Book Title: Jambu Gun Ratnamala
Author(s): Jethmal Choradia
Publisher: Jain Dharmik Gyan Varddhani Sabha

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Page 41
________________ माला .|| धनरा लोभी भाचारी। सावध राचिया ग्रंथ। इंद्रिया वस विषयारा तिरस्या। चले चलावे कुपंथ ॥ भि०२६॥ । गुण || मृग लो डरतो खत साटिका । पडतो पासमें आय । अन्य तीथांग सू बहकाया सुगूरु समीपेन जाय ॥ मि० ३० ॥ ढाल चतृदशमी जंबूजी मोह अंधर मिटाय । ज्ञान भानु उदयांथी प्रभवो । शीश धरयो बिच पाय ॥ मि० ॥दोहा ॥ ते मेव जिर संकियं । तुम मुख हंदा वाय । श्रद्धा अरू प्रती तिया । रुच्या हृदेरे माय । पृ.३२ ॥ १ ॥ हीनाचारी कुटिल हूं । हूंतो लोहनो दाम । तुझ पारस प्रसंग थी। मुवर्ण थासुं साम ॥ २ ॥ बलि हारी उपगारिया। भली विचारनाथ । जिम सुख ऊपजे तिम करो। हूं पिण थांरी साथ ॥३॥ नींव गई खुलिया चरण सावधान सहाय । किम बोले हिव पदमणी । सुणे प्रमाद मुकाय ॥४॥ समुद्र सिरी नारी प्रथम । बोले बटकी बैन । रेत सकर किसु उपादसे । पर छ ती दुख दैन ॥ ५ ॥ काढ पराया कालजा । पोषे निज परिवार । शिर जोरदुं निश दिन रहे । तूं ले पंचाचार ॥६॥ बाईजी नहि खीजिये । मिटत न लिखिया लेख । किम राखो छो नाहलो । म्हे पिण लेसां देख ॥ ७॥ कर मुझरोआगल खडी। पीऊ भणी बतलाय । ए संपत ए साहवीं । तुमसे छांडी जाय ॥ ८॥ गोद.पूत कू छांड के । करत पेटनी आस । बग कर शाघर लोभ थी। हुई हाण अरु हास.॥६॥ ॥ढाल पनरमी ।। प्रेमलावरणी । ए देशी ॥ जंबू द्वीप मरु स्थल देशे । सुवरी नामा ग्रामे । बग नामा करसण तिहां वसतो करे खेतीरो काम | स्वामी सुण जे पुन्य क्षेत्रफल लुणजे ॥ स्वा० ॥ आंकडी॥ ढाल ५

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