Book Title: Jambu Gun Ratnamala
Author(s): Jethmal Choradia
Publisher: Jain Dharmik Gyan Varddhani Sabha

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Page 42
________________ जंबु गुण रत नाला पृ.३६ मोठ वाजरी वाही खेतड । सासियर सिधावे । सासु सुसरा साला साली। भोजन भक्त करावे.॥ स्वा० पुडला मीठा कदीयन दीठा । त्यार करी पुरसावे । स्वाद अपूरव मन रंजाणो । सारा का सारा गटकावे ॥ ॥ स्वा० २॥ मूरख जाणे वे बेई दाखे । दोय २ लागो खावा । मर कटनी पर गाल फुलाया । लागो लोग हंसावा ॥ स्वा०३॥ चार दिवस पाहुणडो रहीने । विदा होत तिणवारो । शेलडी निपजण विध महू पूछी लेई चाल्यो ईखु भारो ॥ स्वा० ४ ॥ पोच्यो निजपुर खेत में जाई । फलियो धान जड काटे । घरका कहे आई शाख निपातन । करो छो थे स्यांमाटे । स्वा० ५ ॥ सांठा वोहस्यूं ए सब खोस्यूं । लाभ घणो नहीं घाटो । समझ समझावे सुण तुं भोला । एक रशायां तो लाटो ॥ स्वा०६ ॥ एक न माने इसडो अज्ञाने । टेक बिगाडे कामे । खेत उजाडी कूख खिणावे। जल नहीं निकस्यो जामे ॥ स्वा० ७॥ गहणो सबाब बेच दियो सगलो । दाम खाट फिर खिणियो । दुजबी वारी वारी नहीं निकल्यो। दोस रामरो गिणियो॥स्वा० साख सोई धन खायो घरको। रोवे ऊंचा सादे । लोग कहेरे रे तुं मरख । लाधा ए फल वादे ॥ स्वा० ९॥ धुरकाग दे घरका जिणने । रे पपी सबने बोरा । चित्त साले साले दुरवयणा । गरज सरे नहीं रोयां ॥ स्वा० १०॥ भावारथ समको अलवसर। पाप हठीला बग जेहा। मीठा पुडला मोक्ष बतायो। गुरुवर सासर गेहा । स्वा० ११ । किरिया पूछी इहां पधारया । मोठ बाजरी दम फलिया । छना छोडो अछता सुख वंछो । काम करो नहीं सलिया ॥ स्वा० १२ । कोमल देही धरण खारडी । तपस्या कूप खुदावो। |ढाल १५

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