Book Title: Jambu Gun Ratnamala
Author(s): Jethmal Choradia
Publisher: Jain Dharmik Gyan Varddhani Sabha
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* ॥दोहा ॥ इम मभु तुम पिछतावस्यो । दुःख देवो दुःख दाय । प्रेम वचन वरसाय के । मंटो विररख । हा लाय ॥ १ ॥ सत्य हेतु दाख्यो सुभग । विषयातुर दुखपाए । धर्मथी बेहुं ऊधरया । हुयो तुम म्हुडे गुण नाए ॥२॥ माला
॥ ढाल इकासमी ॥। नर भव पामीरे सफल करो तुम प्राणी । एदेशी ॥ कंवर कहे सुण पृ.५० भामिन भोली । तुं नहीं समझे काई। पूर्व जाणो पश्चिम चाले । आकाई चतुराई । नर भव पामीरे । सफल
करो तुम नर नारी । तप जप कीजेरे । समता उर धारी ॥ १॥ अांकडी। सुख अभिलाषी दुखरी करणी। करत न पामो खो। खाय हलाहल अमर होन• । तुमबी करती तेमे ॥ न० २॥ बहकायो बहकूला नाहीं। निश्चय करके जाणो। विप्र पुत्र करणी से चूको । तिमहूं नहीं अयाणा ।। न०३॥ कही संबंध प्रभुजी हमने । सुणस्यां धर कर प्रेमे । पूछयांथी वोल्या अलवेसर । चालत मान थयो ऐमे ॥ न० ४॥ जंबू द्वीपरा क्षेत्र भरत में । कोष्टग नामा ग्रामे । बसे मेघरथ विद्युन्माली । माहण सुत द्वेजा में ।। न०५ ॥ विद्यार्थे पुर वाहिर चाल्या । खेचर मिलियो तेहगें । प्रार्थना करीयां थी भाये । साधन दुकर जेहन ॥ न०६॥ जिम कहस्यो तिमही हम करस्यां, महिर करीने दोजे । चुहुडानी पुत्री परणीने । वीज मंत्र समरीजे ॥ न० ७ ॥ होय नगन | मातंगी सामे । रहो अणमेल्या नेणा । जाप जपो निश्चल मन राखी। रखे डीगो मुद् वेणा ॥ न.८॥ ज्यो कदापि शाल से चूका । विगत जासे काजे। शुद्ध आराध्या छै.महीना में । निश्चय पास्यो राजे ॥ न. ९॥

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