Book Title: Jambu Gun Ratnamala
Author(s): Jethmal Choradia
Publisher: Jain Dharmik Gyan Varddhani Sabha

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Page 90
________________ जंबु गुण रल माला पृ. ८४ 1 घोडा वालक दोडा । ति पर एह विचार || स० १३ || अर्थ सुधारी करो विचारी । सागे देसी गाय | बहु महर करीने चित्त धरीने । ज्ञाता इम फुरमाय । निर्जरा थासे । भवि हर्षा से । भव जलरा तिरणार ॥ स० १४ ॥ संवत् उगणीसे ऊपर वीसे । आशाढ पावस ऋतु मास । पख कृष्ण जुं पांचे । प्रेम सुंबांचे । पामे लील विलास | जंबू गुण ग्रामे । कथा अभिरामे । रत्न माल शनीवार ।। स० १५ ।। ॥ कलश सरध वर्णन तीरथ करता दुरित हरता। इंद्र सारे सेव हैं । त्रैलोक्य स्वामी मोक्ष गामी । सोही मोरे देव हैं ।। १ ।। महाव्रतधारी आतमतारी । जीवषद् प्रति पालता । गुरु देव मोटा लियां हुं ओटा । दोष सला टालता ॥ २ ॥ सब जीव रक्षा एह परीक्षा । धर्म जिनकूं जारिणये । जहां होत हिंसा नहीं संसा। धर्म वही पछानिये || ३ || एह तीन रत्ना कीजे जतना । सुद्ध चित सूं धारिये । कहे वक्ता श्रोता । ग्रंथनो सार ए ॥ ४ ॥ सक्न सारूं । त्यागवारूं । करो निज हित आगए । प्रभु सरण लेवो धर्म सेवो | थायसे कल्याणएं ॥ ५ ॥ इति श्री जंबू गुण रत्नमाला संपूर्ण ॥ ढाल ३५

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