Book Title: Jambu Gun Ratnamala
Author(s): Jethmal Choradia
Publisher: Jain Dharmik Gyan Varddhani Sabha
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॥दोहा॥बको वावले वेण तुम । लागो मोह पिशाच । जंबू कहे तुम कहण थी । काचन थावे पाच || गुण | ॥ १॥ शेढल वाहण कुगुरु है भोप मुख मिथ्यात । अधर्म पूंछ गही जीवडा । दुःख दुलांतो खात ॥२॥ रत्न || समो अर्थ इम कीजिये । अंतर नैन निहाल । घर धीरज धर्म धारिये । छांड सकल जंजाल ॥ ३ ॥ ग्रह वासर माला हितां थकां बंधे बेर दुखदाय । तहिन भय कारण कह्यो । श्रीमुख श्रीनिणराय ॥४॥ इक घोडीरी खांण पृ. ६२|| गी की । चोरी चरवादार । दूजे भव बदलो दियो । सुणोसुभग अधिकार ॥५॥
॥ढाल सतावीसमी ॥ सुगण साधूनी हो मुनि थारा मनने पाछो घर ॥ ए देशी॥ जंबू द्वीपरा भरत में होक । भामिनी । कुस्थल ग्राम उदार । महिपति तेहनो गुण निलो होक । भामिनी । घोडारो रिझबार ॥ १॥ चतुरा चेतियो होक । जोवन विद्युत नो चमत्कार ए । आंकड़ी। वल्लभ नृपरे अश्वनी होक । भा० । तानी तेज हशील । असवारी तिण पर करे होक। भा। तनकर आछा फील ॥च०२॥ विविध भांति रक्षा कर होक । भा० । ताजा माल चराव । परवारा काढी दिया होक । भा० । खाणगी शीगे गांव | | ढाल ॥च० ३ ॥ चाकर तिणरो तसकरू होक । भा० । दोलत करे खराब । खातो चोर खुराक में होक । भा० । पोतो नप्ता सराव ।। च० ४॥ दुर्बल हो घोडी मुई होक । भा० । भद्रक भाव जामा । वेश्यानी पुत्री थई ]ोक । भा० । रूमला अभिराम ।। च० ५॥ साहि समर ब्राह्मण घरे होक । भा• । पुत्र पण उत्पन्न दुर

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