Book Title: Jambu Gun Ratnamala
Author(s): Jethmal Choradia
Publisher: Jain Dharmik Gyan Varddhani Sabha
View full book text
________________
जब डांडी पेद्वे वहेरे। लघु अनेवडी नीतरे। थालझरे थाल ओठना नाखियेरे । सोरस आहारे कुरीतरे॥०१४॥ मास || गुण जरे मास सवा नव त्यां रह्योरे। प्राइ ऋतु वरसातरे। वारिरे वारी जोरे वह नीकस्योरे। आमिष पिंड सोगातरे । रत्र । चे०१५॥ तात जरे तात खबर लही ले गयोरे । रुई पलेट्यो अंगरे। जतन जरे जतन जावता बहु कियारे । नवा माला जन्मरो ढंगरे ॥ चे १६ ॥ साजोरे साजो थयो चिरकालमेंरे । तिम ही फेरे तो खाररे । पुनरपिरे पुनरपि तेडे
पटरानीरे । जायक नही कहो नाररे॥चे०१७॥ कंथारे कथा फिर किम जाई येरे। जाय सो मुर्ख कहायरे। इमहि जरे इमाहिज समझो सुंदरीरे धीरज मन में लायरे॥चे०१८ ॥ जीव जरे व कंवर ललि तंग सारे । काल त्रैलोक नो रायर । विषियारे विषिया राणी तेहनीरे । कुमत चेडी भिजवायर ॥ चे० १६ ॥ मंदिररे मंदिर मनुष्य गति मधेरे। बोलाव्यो ललचायरे। आव्योरे आव्यो कृतांत महीपतीरे। कंपण जागी कायरे ॥ चे २०॥ भृष्टारे भृष्टा राम कान मेंरे । पडियो जनिता कुखरे । ऊठज रे ऊंठ माताजीनो रस लियोरे। तेह थी मीठी भूखरे ॥ चे० २१ ॥ प्रांणजरे प्राण डांडी में द्वे वह्योरे। अम्मानो मल मूत्ररे । गर्भज रे गर्भ थिति इम भोगवी रे । पुण्य वृषा थयो पुत्ररे । चे० २२ ॥ गुरुजनरे गुरुजन करी प्रति पालणारे । कीधो मुझ हुसियाररे । | ढाल बहळूरे वह• कदापि हूं नहीरे । एहसु धर्म उपकाररे ॥ चे० २३ काचार काचा सुखारे कारणेरे । मानवनो अवताररे । चिंतारे चिंतामणि किम हारियेरे । सोचो चित मझाररे ॥ चे० २३ ॥ ढालज रे ढाल भणी इकतीसमीरे । जंबु कह्यो दृष्टांतरे । कायलरे कायल जीत सिरी हुईरे । बैदी जाय एकांतरे ॥ चे० २५ ॥

Page Navigation
1 ... 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96