Book Title: Jambu Gun Ratnamala
Author(s): Jethmal Choradia
Publisher: Jain Dharmik Gyan Varddhani Sabha
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पृ.७८
सब मोहने तक । मात पिता जग जीवडा । जेताई हुवा । इम कहयो अरिहंतक । कुण २ ने हित्र रोइये दुखकार कुटुम्बरी प्रति एकंतक । सरण राखण जगको नही । अशुभ उदय आया नयण भरतक । थित पूगां उठ चालणे | रेहजासी सघला ई सयण रोवंतक । गर्ज सरे नही एकसूं । काल केहरी जीव मृगन माला छोडतक । सरण लेस्यूं जिनराजनो । तारसे सही मोने सुधर्म संतक । आपभी एहीज कीजिये ॥ ४ ॥ काल रो चक्र अरहट भमे । साठ घटी जाणो घट तरणी मालक । आउवारीने उलीचतां । चंद्र सूर्य दोय वृषभर सालक । रात दिवस भमता रहे। भव रूप जल खुटजासी तत्कालक । चऊं गत हूडी कुवासमी । एक सुख वे एक माहे फिर डालक । जाण कढाले बैठिया । कर्म कर रह्या मानो गोरख जंजालक । इणने हटाया सुं शिवगती । सिद्धा में नही चाले इण तणी चालक । ख्याल देखे सब लोकरो । जन्म मरण भय दिया सहु टालक | हूंबी उमायो उण ठामकूं । पापस्यू सही पंचमहाव्रत पालक । श्री जिण आण आगधिए ॥ ५ ॥ जसाने भगु पिरोथजी । पुत्रां सुं कीधो तेतो सांचल प्रतिक । तिमी करो सब आपढी । जग माहे होसे थारी चोगणी कीर्तक ॥ सुखिया होस्यो परलोक में । कर्मरी फोज ल्यो जल्दी सुं जीतक । चरण भेटो गण धारना | दुःख हरण जाणो सत गुरु मीतक । और जगत सब मुतलवी । मुतलब सरीयां सुं करत कुरतिक गाफिल रहे सो ठिगाइये । चेतसी सोई नर परम पुनीतक । पापी से कुछही बणे नहीं । करणी करो जामू निर्मल चीतक | मानव भव सफलो करो । पाप पुंज जासे तुर्तही वीतक । अचल गति थेइज पावस्यो ॥ ६॥
1
अंबु
ཟླཝིཊྛཱ ,
गुण
रख
ढाल
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