Book Title: Jambu Gun Ratnamala
Author(s): Jethmal Choradia
Publisher: Jain Dharmik Gyan Varddhani Sabha
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बीजाी शीखी बे भाई । तेहिज कीधी रीते । देव जोगसो वाग कन्या । करे त्रिया चेष्टा प्रीते ॥ न० १०॥
नाचे गावे नैन मिलावे । मुस्काई ललचावे । यो ऋतु दान कामातुरी । तुम हम जी सुखपावे ॥ न० ११ ॥ गुण
व्याप्यो मदन हुयो तन व्याकुल । विद्युनन्माली जबही । भ्रष्ट भयो तसु साथे मूर्ख । हुयो वावलो तबही ।। न० माला ॥ न० १२ ॥ रह्यो अडोल मेर ज्यं घनरथ धरचो ध्यान तहे मन्ने । देवी प्रकट थई कहे दं। ज्यो मांगे ज्यो
तंने ॥ न० १३ ॥ मांग्पा राज दियो अति मोटो । सीधा वंछित सारा । मिलिया सुख अमामा तेहने । धन भरिया भंडारा॥ न० १४ ॥ चतुरा सम जो इण प्रस्तावे । विष तनुज जगजंतु । निर्बुद्धि विपिया रस रसिया विद्या प्रेम रे तंतू । न० १५ ॥ सत गुरु जिन विद्याधर मिलिया मंत्र परमेष्टी भाष्यो। साधन सतरा भेद बतायो। राज मुगतरो दाख्यो । न० १६ ॥ खाख रोज तनुजा सम नारी । देत परीसा भारी । अचल रहे सो पावे शिव पद । डिगीया कुगत तयारी॥ न० १७॥ ढाल भणीए इक वीशमी । परम वेद उपकारी । राज रोगरो औषध कीनो । जंबूनी बलिहारी ॥ न० १८ ॥
॥दोहा ॥ कंचन सेना चतुरथी। बोले करी सलाम । जीव लहरीयां जातुहे। राखो नाथ कलाम ॥१॥ || सरणे राखी पालटो । एह नहीं पुरुषां रीत । नीत शास्त्र सासुरा जाण तुम । करो चोगणी प्रीत ॥२॥ महंत पुरुष बहुलावा । पहिली भोग्या भोग । ग्रहे भार सुत सोंप के पाछे लीधो जोग ॥ ३ ॥ हठ कर ज्यो नही मानस्वो, खेतडनी पर होय । तुम भी कहो जे उपजी । वाकिम राखो कोय ॥ ४ ॥
ढाल

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