Book Title: Jambu Gun Ratnamala
Author(s): Jethmal Choradia
Publisher: Jain Dharmik Gyan Varddhani Sabha

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Page 62
________________ गुण माला छोहे । पुन्य पुंज तेह साहरे लो ॥ न० ५ ॥ डेरा तंबू मेख सखाना । राग मनोहर गानारे लो । सेठ सेठाणी ।। अंबु || सुणता काना । सुकृत फल प्रकटानारे लो ॥ न०६॥ खाता नाना विध पकवाना । नागर वेलरा पानारे लो । खुशबो हीरा अंतर दाना । मोजां. करता नानारे लो ॥ न० ७॥ विवहारी बहु तेहनी लारे । अवर । घणो परवारेरे लो । हाथी करहा औरतो खारे । रथ पालकी विस्तारेरे लो ॥ न० ८॥ आंख्या देखे ऊभी दूरे। प्राध्या पुन्य अकूरेरे लो। पाप किया आपां भरपूरे । इम मन माहे भूरेरे लो॥ न०६॥ जब पंडित एक पृ.५६|| | चाल्यो आई। जोवालो थे काइरे लो । देखांछां निजक्रत कमाई । दलिह हमारो किम जाइरे लो ॥ न. १० ॥ एक उपाव वताऊं तुमने । सेवो गणपत तन मनरे लो । तूंठा कहिन्यो वरद्यो हमने । कीज़्यो प्रमाण हुकम नेरे लो। न०११॥ तहत बचन पंडितानो करियो । मंदिर जाय ध्यान धरियोरे लो । एकागर चित जख समरियो । प्रगटी दीधो वरयोरे लो ।। न० १२ ॥ एक २ दीनारराजीना । म्हु माग्या तमु दीनारे लो सफल मनोरथ तिणरा कीना । दुख गया दोई सखीनारे लो ॥ न० १३ ॥ आनंद में दिन दोन्यारा जाता। सुख २ काल गमातारे लो । लोभ करेछै हिव उत्पाता। ते सुण प्रीउडाजी बातारे लो ॥ न० १४ ॥ सहि यर सरखी सुर सेव्यो जदकी हिवे हूं थाऊं अधीर लो । लोग कहे जदी मोने हदकी। सिद्धि विचारयो भरी मदकीरे लो॥ न० १५ ॥ जब वितर फिर २ जाय ध्यायो । समरयां सुं तत्क्षण आयोरे लो । कह तं । क्यूं मुझ ने बोलायो । बुद्धि सु विमणो देवायोरे ला॥ न० १७ ॥ तुझ बहिनी सुं दूणोपाशे । इम कहि गयो ढात

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