Book Title: Jambu Gun Ratnamala
Author(s): Jethmal Choradia
Publisher: Jain Dharmik Gyan Varddhani Sabha
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पृ.५४
कदली दाड्यां दाख नारंगी । नीबू बीजोरा करणाजी । तूत फालसा श्रादू जामू । पक्या आम मन हरणाजी गुण
| ॥ इ० ३ ॥ ताड तमाल खिजूर सिरीफल । सिरूं मिसल सिर सोहेजी । रायवेल अरु अमरवेल फुन । नागर | वल्ली मोहेजी ॥ इ. ४ ॥ गुल महिंदी दाऊदी हजारा। केतकी विडला म्हकाईजी। आशिक पेचा चंपा चपली । लट्टी गुल फूलाईजी ॥ इ० ५ ॥ इत्यादिक द्रुम फलिया फूल्या । बिच मनोहर परसादेजी। नंदन वन समते तिहां रहिता । कपि बधु फल आस्वादेजी ॥ इ० ६ ॥ सर्व भांत सुं सुख मानंता । सुखे २ दिन नाइजी । तरुण बांदरो बांदरी अर्थे । वुढा सु माडी लडाईजी ॥ इ० ७ ॥ बाथां भर २ दांता खादा । नखे बिलरी कायोजी। लोही लुहा लह वो बलहीणो। भाग्यो वृद्ध हरायाजी। इ०८॥ दुरे जातां तिरपा व्यापी घावां पूरे शरीरोजी । नदी निवाण जोतां इक पायो । डावर गुधलो नीराजी ॥ इ०६॥ महेि पइठो रोल मचाई । सोभी सूको वारीजी रह्यो कर्दम अब किमु मैं पीऊं। जल विन तडफे भारीजी ॥ इ० १० ॥ पंक लेपियो अंग आपरे । उपजी शीतलताईजी परम अहलाद पामी मन चित्ते हम समसुख न किहांईजी ॥इ०११॥ काईक गर्मी देहीनी सु । काईक सूर्य प्रभावजी गारो सूको तन सहू फाटो । वेदन सहिय न जावेजी ढाल ॥ इ० १२ ॥ उछल उछल पडतो गिरतो । माथो पटके जीवारोजी। अल्प देररा मुख रे कारण पायो दुःख अपारोजी ।। इ०१३ ॥ समझो सुंदर इण प्रस्तावे । सोहेला अघ फल बंधताजी । भोगवंता श्रा जाणो । मिले जोग अणगमताजी ॥ इ०१४॥ अशुभ कर्म उदय जदि आवे । कोइयन आडो थावे जी ।।

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