Book Title: Jambu Gun Ratnamala
Author(s): Jethmal Choradia
Publisher: Jain Dharmik Gyan Varddhani Sabha

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Page 59
________________ गुण रत्र माला पाछा फिरि विरि आविया । म्हा० भू० देखी खेतड ने ताम। क्रोध उपजा विया ॥ म्हा० क्रो० १३॥ नीचो । गेर छानी मार । देईने कूटियो । म्हा० दे० ॥ हुई लोही झर देह । शीष तब फूटियो । म्हा० शी० १४॥ द्रव्य लियो सब लूट । पूर्व लोबी संचियो। म्हा० पु० । लोक कहे प्रत्यक्ष । दखि तिरयचियो।म्हा० दी० १६॥ त्रासे सब परिवार । लोभे सहु खोइयो । म्हा० लो४ । साले वेदन कटु वेण । दुखी बहु होइयो । म्हा०० ॥ १६ ॥ ढाल वाबीसमी माहि । जुगत अत मेलवी । म्हा. जु० । कनक सेण चोथी नार । चातुरी के वली ॥ म्ह ० चा० १७॥ दोहा-जंबु कंबू धर्म को । वार २ मत फूंक । अति लोभे जास्यो तुमे । छता सुखांमुचूक ॥१॥ भली कही तुम भामिनी । लोभ पापरो मूल । एही समझ कर देत हूं इणरे माथे धूल ॥२॥ घायल मरकट मृत्य का ले पाणी निज देहं । ठंडक सुख मानी क्षणिक पाम्यो दुख अछेह ॥ ३ ॥ किम स्वामी एह वार्ता, कहो गरी निवाज । सुभ कांता मनखां तथी । मदन बिगाडे काज ॥ ४ ॥ ॥ ढाल तेवीशमी ॥ धर्म पावे तो कोई पुन्यवंत पावे ॥ ए देशी । इम पीऊ पतनी ने परचाये । कर्म विपाक बतावेजी । तिमर मंदिर हदये रो नसावे । ज्ञान दीपक देखावेजी ॥ इ० १॥ एक आराम हवो | अति नको । मोटो गहन गंभीरोजी पंकज फूल्या होद बावडियां । निर्मल तेहनो नीरोजी ॥ इ०२॥

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