Book Title: Jambu Gun Ratnamala
Author(s): Jethmal Choradia
Publisher: Jain Dharmik Gyan Varddhani Sabha

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Page 38
________________ जंबु गुण रख माला पृ०३२ सार ॥ सु० १७ ॥ करम ए विविध मचावता हेक । च० । न ट किया ज़िम नाच । प्रति बोध्या संजम लियो हेक । च० । श्री जिण धर्म में राच ॥ सु० १८ ॥ एकही भव एक जीव सुं हेक । प्रभवा । इस विश्व नाता अठार । मुतलब सब भूरणा हेक ॥ प्र० || स्वार्थी यो संसार ॥। १६ ।। सुगणा मानवी होक जंबू केगे जोवो रे विज्ञान || आकडी ॥ मात पिता सुत बंधवा हेक । प्र० । बहिन भाणेजा जोय । हुवे असाता जब उदे रेक | ० | रोकर द्रा होय ।। सु० २० ।। काली सिंचाणो झपटतो रेक । प्र । जीव चिडाने आय | धरी रहे सब साहबी रेक । प्र० । आडो कोयन थाय ॥ सु० २१ ॥ धन जोवन, ठकुराइयां रेक ॥ प्र० ॥ जेह वो रंग पतंग बिगड़त वारन लागडी रेक || प्र० || होत छिनक में भंग ।। सु० २२ ॥ त्रयोदशमी ए ढाल में रेक । प्र० । चमत्कार प्रस्ताव । प्रभवो सुण रंजित थयो रेक ॥ च० ॥ फिर बोले चित चाव ॥ सु० २३ ॥ ॥ दोहा ॥ कही अपूर वारता, अहो ज्ञान भंडार | कहां लगे गुण वर्णनन करूं मनुष रूप अवतार ॥ १ ॥ तन, धन, जोवन. कारमो । इण में संदेह नीहि । जिम भाष्यो तिम हीज छै रुचि हृदारे माय ॥ २ ॥ अर्ज एक पिमाहरी सुत बिन सुगत न होय । वेद बरका इस परे । ए संसय छै मांय ॥ ३ ॥ भंवर एक जन्मया पछै । लीजो संजय भार । मान बचन प्रभु माहिरा । हूं पिण यासूं लार ॥ ४ ॥ ॥ ढाल चवदमी ॥ राजे सर ह्यो मानी यये । एदेशी ॥ जंबु कहे ए डी बातां गुरू केरा डाल ૧૪

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