Book Title: Jambu Gun Ratnamala
Author(s): Jethmal Choradia
Publisher: Jain Dharmik Gyan Varddhani Sabha

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Page 32
________________ रल जंबु | काज चटका जोइरे । आयु साखा मूसा काटे । शुक्र कृष्ण पक्ष दोइरे । कं । ॥ २२ ॥ काम भाग हे सतं गुण | बिन्दू । मूराछियो गिंवाररे । "सुर्धम स्वामी व्योमगामी । थाय सूं हूं लारे ॥ कं २३ ॥ विमान धर्म रे | बैठ सुं मैं । रुचि इणारी कहणरे । पौंच सुं निज गृहे मुक्ति । तिहं अविचल रहणरे ॥ कं २४ ॥ एह दृष्टात माला चतुर समझे। अल्प कर्मी होयरे । ममें मूर्ख नाहिं पावे। वृथा नर भव खोयरे ॥ कं २५ ॥ रंजियो मन प्रभोमणि के । कथा अचरच काजरे। धन्य प्रज्ञा एहनी कहीए । प्रत्यक्षए अवताररे ॥ कं २६ ॥ ढाल ग्यारमी कही इण पर उत्तम जन अहनाणरे एक उन हिये नहीं जानी सबही चेतो सुजाणरे कं ।। २७॥ दोहा-नाणी जोड़ प्रभवो कहे गिरवा बुद्धि निधान । सजन सम्बन्धी मंत्रवी । तजिये नांहिं निधा न ॥१॥ न्याती गोती बहुतते । प्रेमातुर तुझ साथ । निस दिन मुख जोता रहे । ते किम छांडो नाथ ॥२॥ जीव अनंता जगत में । न्याती सबही जान । किण २ सू लवधो रहुं । प्रीत करे हेरान ॥ ३ ॥ अष्टादश एकही भवे । नाता कीधा तेह । नगर नायकारी कथा । सांभल जेम स्नेह ॥ ४ ॥ करुणा निधि कृपा करी भाषो एह विरतंत । प्रभवो अर्जी इम करे । सुण स्युं धर मन खंत ॥ ५ ॥ ढाल बारमी-चतुर नर चेतज्यो नीको नर भव पायोरे ॥ ए देशी ॥ मथुरा नगरी सुहामणीरे । वरनन करवा जोग । धनवंता बहु लाव सेरे । भोगी भंवरा लोग । पल्ली पति चेतज्यो । लख जगतरी रच दरल

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