Book Title: Jambu Gun Ratnamala
Author(s): Jethmal Choradia
Publisher: Jain Dharmik Gyan Varddhani Sabha
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दोहा ॥ भाव अपूर्व सांभली जंबू वो खुस्याल । वलिहारी गुरुदेव की कीधो मोय निहाल ॥ १ ॥ इस दिन सूतो हुंतो हूं मोह निद्रा मोय । शिक्षा शब्द सजाय के शीघ्र दियो जगाव || २ || महां व्रत अनुपति । लं साम समीप | अब गुण डूबे जग जलधि | सद गुरु मिलिया दीप || ३ || अहो तुम देवाप्रिये, प्रतिबंध कराय । यथा सुख तुमने हुवे. सोही करी उपाय || ४ || आयो मुनि वेण सुण पद पंकज पण मंत । पाछा आवे शहर में किम बीते वितत ॥ ५ ॥
पृ. १७
जंबु
गुणा
रस
माला
॥ ढाल अष्टमी । वीरमती ए बोर च्यारे ए देशी ॥ पादा भाता शहर में रे मझ नगर के द्वार | सुगड जिनसां भलों कोई कारण प्रियोग सूं रे । छूटी तोप तिवार | सु० ॥ १ ॥ कोट कांगरो फूट नेरे । तस भख पहिया और । सु० । बेहुं पगारे बीच मेरे बहीनो जंबू कुमार | सु० || २ || हा हा अनरथ होवतो रे कीधान व्रत पचखाण | सु० । मरण उपसर्ग ऊप नोरे । जाण रहु वो अमाण सु० || ३ || खाली हिव आगे जाय वोरे | सही रेन ही छे मोय । सु० | बारावरतपाछो चाल नरे । आदरूं से व्रती होय || सु० ॥४॥ इम चिंती तिहां चालियारे | बीतो व्रतंत सुणाय । सु० । दीन दयाल कृपाकरी मे । श्रावक व्रत कराय | सु०॥२॥ करुणा नाथ कृपा करी ने, व्रत करांचे सार । समगतनी आराधनारे । पहिलो व्रत विचार सु० | ॥ ६ ॥ जणी पीठी आकुटी नेरे । त्रस जीव हणून लीगार सु० । अपराधी मुझदेह नारे | पीडा कारी भागार । सु०
डाल
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