Book Title: Jambu Gun Ratnamala
Author(s): Jethmal Choradia
Publisher: Jain Dharmik Gyan Varddhani Sabha
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जंबु
गुण
रक्ष
माला
पृ. १४
ल० ॥ १५ ॥ बट्टी रात जगाय । सूरज दिखलाविया । ल० । सुपन अर्थ थी । जंबू नाम घराविया ॥ ० ॥ १६ ॥ धात्री पांच पहिली धाय । दूध धवरावती । ल० । कला सिखाय न्हावय । श्रृंगार करावती ॥ ल ०. १७ ॥ गौर वर्ण कज्जल नैन । भाल शशी मोहता । नेत्र अधर नख अरुण । चरण कर सोहता ॥ ल० ।। १८ ।। वस्त्र अमोलक धार | रत्नरा भूषणा । ल० । मणिमई घूघर हाथ । मनोगम रूसणा || ल० ।। १६ ।। ठमक २ की चाल । माता लारे आवही । ल० ॥ जैसे मराली संग बचासो भावई ॥ २० ॥ अष्टवर्ष अनुमान । हुवा कुँवर तदा । ल० । कला आचारज गेह । म्हेल्या भगवा जदा ॥ ल० ॥ २१ ॥ कला बहुतर मांहि । निपुण हुवा तुरंतही | ल० । चारूं बुद्ध निधान । बलि न सके धुर्त ही ॥ ल० ॥ २२ ॥ निकसे हवेली बाहर | नगर जन जोवता । ल० । कामरूप प्रत्यक्ष कामण मन मोहता ॥ ल० ॥ २३ ॥ सांडस वर्ष हुवा ताम इंद्रिया जाग्रत भई । ल० । यौवन बँत कुमार । पिता जाण्यो सही ॥ ल० ॥ २४ ॥ इभ से सम तुल्य मनोहर कन्नका | ० | किया सगारथ आठ के । धाया धन्न का ॥ छ० ॥ २५ ॥ आठों ही माँग अनूप । रूप अप सर जेसी | ० | लावण्यवंत सधीर । हिरणसी मुख शशी ।। ल० २६ ॥ सष्टी ढाळ रसाल | कही इस पर भली । ल० । गणधर आगम हरद सुणा आगम वली ॥ ल० ॥ २७॥
॥
॥
दोहा -तिन काळे तिण अवसरे गणधर सुधर्म स्वाम | मुनि पांच से लार तस विचरे पुरवर ग्राम ॥ १ ॥ पचावण भविगण मुक्त सांचा सारत बाय । गत आगत कंतारथी, घाल शित्र पुर राह || २ || राज
ढाल
६

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