Book Title: Jain Vivah Vidhi aur Vir Nirvanotsav Bahi Muhurt Paddhati Author(s): Nathulal Jain Publisher: Dhannalalji Ratanlal Kala View full book textPage 6
________________ भूमिका जैन समाज में जैनशास्त्रों और समाज के अपने अपने प्रांतों एवं जातिप्रथा के अनुसार प्रकाशित कराई हुई जैन विवाह विधि की दस वारह पुस्तकें हमें देखने को मिलरही है । कुछ हस्त लिखितप्रतियों और स्व. पं. पन्नालालजी वाकलीवाल श्रादि की पूर्व पुस्तकों के आधार पर अन्य पुस्तकों के समान प्रस्तुत पुस्तक की रचना की गई है। इसमें सामायिक आवश्यकता के अनुसार विधि में संशोधन करते हुए धार्मिक जनों की श्रद्धा का ख्याल रख प्रचलित पूजाओं और श्लोकों को उद्धत करके इस पुस्तक का संपादन कर दिया गया है। श्री दि. जैन विद्वत्तरिषद की ओर से भी एक जैन विवाहविधि संपादन करने की सूचना मिली थी। जिसका भाशय संभवत सव जातिओं और प्रांतों के रीति रिवाज का समावेश कर विस्तृत रूप से प्रकाशित कराने का हो। परंतु अकस्मात अवसर पाकर यह कार्य अपनी इच्छा से संक्षेप में ही करना उचित जानकर यह संकलन किया गया है। __ आज से लगभग २६-२७ वर्ष पूर्व जबकि यहां इन्दरिमें और पास पास में जैनक्विाह विधि प्रारंभ ही हुई थी, उन दिनों हम लोग मी,यह विधि कराने जाया करते थे। उस समय शास्त्र के अनुसार ईटों की Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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