Book Title: Jain Tattva Darshan Part 07
Author(s): Vardhaman Jain Mandal Chennai
Publisher: Vardhaman Jain Mandal Chennai

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Page 25
________________ होली का व्रत भी नहीं करना चाहिए । होली में किस दोष से कितना दंड और कितना प्रायश्चित आता है उसका शास्त्र में निम्न प्रकार से वर्णन है: होली में गुलाल उडाने से - 10 उपवास जितना प्रायश्चित्त आता है। पानी का एक घडा डालने से- 10 उपवास जितना प्रायश्चित्त आता है । होली में कंडा डालें तो - 25 उपवास जितना प्रायश्चित्त आता है। होली में गाली बोले तो - 15 उपवास जितना प्रायश्चित्त आता है। असभ्य गीत गाँए तो - 150 उपवास जितना प्रायश्चित्त आता है। वाद्ययंत्र-नगारे बजाएँ तो - 70 उपवास जितना प्रायश्चित्त आता है। लकडे डालें तो - 20 उपवास जितना प्रायश्चित्त आता है। हार डालें तो - 100 बार उसे जलकर मरना पडता है । श्रीफल डालें तो - 1000 बार उसे जलकर मरना पडता है । सुपारी डालें तो - 50 बार उसे जलकर मरना पडता है । धूल डालें तो - 25 बार उसे जलकर मरना पडता है । खड्डा खोदें तो - 100 बार उसे जलकर मरना पडता है । होली सुलगाएँ तो - 1000 बार उसे चांडाल के कुल में जन्म लेना पडता है। होली का व्रत करें तो - 1000 बार म्लेच्छ कुल में जन्म लेना पडता है (होली पर्व कथा में से) इसे पढकर बच्चों आप लोग दृढ निश्चय कर लेना कि, अब होली जलाने का, धूलेटी खेलने (रंग डालना) आदि का कार्य कभी भी नहीं करेंगे । किसी को गाली भी नहीं देंगे । बराबर है न? B. दिवाली को होली बना दी... यह कैसी दिवाली? पटाखों के पाप से होती है जीवों की होली ! पटाखों से होती हुई हिंसा, अनर्थ दंड अर्थात् बिना कारण बँधने वाला महापाप है । एक कवि ने कहा है कि दिवाली आई, दिवाली आई, करने कर्म की होली, उसमें पटाखे फोडकर, न भरो पाप की झोली

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