Book Title: Jain Tattva Darshan Part 07
Author(s): Vardhaman Jain Mandal Chennai
Publisher: Vardhaman Jain Mandal Chennai

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Page 43
________________ मुख्य बात : Dr. Coco अपनी पुस्तक में लिखते है कि तुम जो चॉकलेट खाते हो वे कितनी लाभपद्र है ? यह जानने के लिए चॉकलेट खाने से पूर्व और खाने के पश्चात् अपने हृदय की धडकन अवश्य गिन लेना । यदि चॉकलेट खाने के पश्चात् तुम्हारे हृदय की धडकने 84 के बदले प्रति मिनिट 60 हो जाए तो समझ लेना कि चॉकलेट का तुम्हारे शरीर के साथ मेल नहीं बैठता अर्थात "It does n't suit you.'' ‘‘Nestle Limited” की " Kitkat" नामक चॉकलेट आजकल बच्चों में बहुत ही प्रिय है परंतु यह चॉकलेट गाये के छोटे बछड़ों को मारकर उनके शरीर में से उपलब्ध रेनेट में से बनाई जाती है (यह बात गुजरात समाचार नाम के पेपर में आई हुई है ।) रेनेट अर्थात् कोमल बछडे का माँस । मानसिक, धार्मिक, शारीरिक लाभ के खातिर बच्चों को चॉकलेट के सेवन से दूर रहना ही हितकारी है । 1. मानसिक असर : केलिफोर्निया में बाल अपराधियों तथा किशोर वय के अपराधियों पर 900 प्रयोगों के पश्चात् बालकों के लिए चॉकलेट के उपयोग पर संपूर्ण प्रतिबंध लगाया गया, खाने में मीठी वस्तुएँ भी कम करवाई गई जिसके परिणाम स्वरुप बालकों में हिंसक तथा समाज विरोधी प्रवृत्तियाँ आधी कम हो गयी 1 2. धार्मिक असर : चॉकलेट में शहद-मक्खन आदि अभक्ष्य पदार्थ मिलाये जाते है । अत: इन्हें खाने से हमें अभक्ष्य भक्षण का दोष लगता है । 3. शारीरिक असर : चॉकलेट में अधिक मात्रा में निकल नाम की धातु होने से बालकों को कैंसर होने का भी भय रहता है। उससे यकृत पर विपरीत प्रभाव, चर्म रोग, श्वेत केश, दाँतों में पीडा आदि होते हैं, स्वाद के खातिर अधिक चॉकलेट खाने से आहार भी घट जाता है । सावधान : खिलौने के आकार वाली चॉकलेट- पीपरमेंट नहीं खानी चाहिए, कोई कोई पीपरमिंट शायद अभक्ष्य न भी हो परंतु बताशे ( पतासा ) के बजाय सिंह, घोडा, हाथी, मछली आदि के आकार वाली पीपरमिंट की गोलियाँ बच्चों को खाने के लिए देते है, यह माता-पिता की भयंकर भूल हो रही है, क्योंकि उससे हिंसक संस्कार पडते हैं। नई पीढी के संतानों को माँसाहारी बनाने की यह चाल है। मैंने सिंह खाया, मैंने मछली खाई, आदि बच्चे बोलते हैं। इससे नहीं मारने पर भी जीव हिंसा को दोष तो लगता ही है। मछली आदि के आकार वाली पीपरमिंट की गोलियाँ छोटी-बडी चोकलेट आदि हड्डी, माँस, चर्बी से भी निर्मित होती है । इसी तरह स्कूल में दिये जाते अभक्ष्य नाश्ते से भी बच्चों को सावधान करना आवश्यक है । C. बिस्कुट बिस्कुट खाना तो बचपन से ही चालू है, अत: उसको छोडने में कुछ कष्ट होगा, परंतु यह पढोगे तब आपको लगेगा कि पार्ले, मेरीगोल्ड, क्रैकजैक, मोनेको, फिफ्टी-फिफ्टी, चेम्पियन, गुड डे, टाइगर, कुकीस, ऑरेंज, हाइड एंड सीक, क्रीमरोल, जिम जैम, बोरबॉन, टाइमपास आदि इन सभी प्रकार के बाजारू बिस्कुटों में अंडों का रस, गाय की चरबी, बकरों की आँतों का रस व हलकी कोटि का मेंदा 41

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