Book Title: Jain Tattva Darshan Part 07
Author(s): Vardhaman Jain Mandal Chennai
Publisher: Vardhaman Jain Mandal Chennai

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Page 70
________________ चोर का दृष्टांत कृष्णा नालासनावताकापोत BE. ( 9A मात्र सबका वध ध FROT 3 धारीका ब सशीलउवालाका वध मिना मारे धन ग्रहण एक बार कई चोर मिलकर किसी नगर में डाका डालने गये । मार्ग में जाते हुए वे परस्पर बाते कर रहे थे। एक दुष्टात्मा चोर ने कहा : पुरुष, स्त्री, वृद्ध, बालक अथवा पशु मिल जाए तो हमें उन्हें मौत के घाट उतारकर उनके पास रही धन-संपदा लूट लेनी चाहिये । चोर का यह अति क्रूर कठोर अध्यवसाय कृष्ण लेश्या से गर्भित है। ___दूसरे चोर ने कहा : पशु और अन्य प्राणियों ने हमारा क्या बिगाड़ा है? उन्होंने हमारा कोई अपराध नहीं किया । अत: जिनसे हमारा वैर विरोध है, ऐसे मनुष्य की हत्या करनी चाहिये । अत: चोर का यह मध्यम क्रूर अध्यवसाय नील लेश्या से गर्भित है। तीसरे चोर ने कहा: हमें भूल कर भी स्त्री हत्या नही करनी चाहिये । क्योंकि यह कार्य सर्वत्र निंदनीय और वर्जित है । अत: पुरुष मात्र का हनन करना उचित रहेगा । कारण वह क्रूरात्मा होता है । तीसरे चोर का यह कथन मंद क्रूर अध्यवसाय कापोत लेश्या से गर्भित माना गया है। चौथे चोर ने कहा:अरे, सभी पुरुष एक से नहीं होते, अत: जो शस्त्रधारी हो, उसी की हत्या करना

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