Book Title: Jain Tattva Darshan Part 07
Author(s): Vardhaman Jain Mandal Chennai
Publisher: Vardhaman Jain Mandal Chennai

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Page 120
________________ ON धार्मिक पाठशाला में आने से...... 1) सुदेव, सुगुरु, सुधर्म की पहचान होती है। 2) भावगर्भित पवित्र सूत्रों के अध्ययन व मनन से मन निर्मल व जीवन पवित्र बनता है और जिनाज्ञा की उपासना होती है। 3) कम से कम, पढाई करने के समय पर्यंत मन, वचन व काया सद्विचार, सद्वाणी | तथा सद्वर्तन में प्रवृत्त बनते हैं। पाठशाला में संस्कारी जनों का संसर्ग मिलने से सद्गुणों की प्राप्ति होती है “जैसा | संग वैसा रंग"। 5) सविधि व शुद्ध अनुष्ठान करने की तालीम मिलती है। 6) भक्ष्याभक्ष्य आदि का ज्ञान मिलने से अनेक पापों से बचाव होता है। 7) कर्म सिद्धान्त की जानकारी मिलने से जीवन में प्रत्येक परिस्थिति में समभाव टिका रहता है और दोषारोपण करने की आदत मिट जाती है। 8) महापुरुषों की आदर्श जीवनियों का परिचय पाने से सत्त्वगुण की प्राप्ति तथा प्रतिकुल परिस्थितिओं में दुर्ध्यान का अभाव रह सकता है। 9) विनय, विवेक, अनुशासन, नियमितता, सहनशीलता, गंभीरता आदि गुणों से जीवन खिल उठता है। बच्चा आपका, हमारा एवं संघ का अमूल्य धन है। उसे सुसंस्कारी बनाने हेतु धार्मिक पाठशाला अवश्य भेजे।

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