Book Title: Jain Tattva Darshan Part 07
Author(s): Vardhaman Jain Mandal Chennai
Publisher: Vardhaman Jain Mandal Chennai

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Page 68
________________ जंबुवृक्ष का दृष्टांत | ६लेख्याकी पहचान जंबवक्ष और चौरकादृष्टांत । NEERIN A SA MODM ल 2007 शास्थाको . LEKASON बडीशारचाका पक्वज ICC कापति रणजे NoA प्रलस्था - प TONM PAAS 049 निम्न पतित जंबूका क्षण तब उन में से एक ने व्यग्र होकर कहा : क्यों न इसे जडमूल से उखाड़ दें ताकि निश्चित हो कर भर पेट जामुन खाने को मिलेंगे । अर्थात् केवल जामुन के खातिर वृक्ष को ही जडमूल से उखाड़ने की दुष्ट वृत्ति उत्पन्न होना कृष्ण लेश्या कहलाती है। इस तरह अपना स्वार्थ सिद्ध करने के हेतु अन्य के प्राणों की परवाह किये बिना संहार करने की दुष्ट भावना रखने वाला अत्यंत स्वार्थान्ध जीव , कृष्ण लेश्या से युक्त होता है । चित्र में प्रथम क्रमांक के पुरुष को जामुन के लिये वृक्ष को जडमूल से उच्छेदन करता दिखाया है। उसकी पोशाक एकदम काली है । मतलब कृष्ण लेश्या का वर्ण काला होता है। इतने में ही दूसरे पुरुष ने कहा : ऐसे विशाल वृक्ष को भला उखाडने से क्या लाभ? साथ ही हमें इसकी कतई आवश्यकता नहीं है । इससे बेहतर तो यह है कि हम इसकी बड़ी-बड़ी टहनियों को तोड़ लें और भरपेट जामुन खाएँ । अर्थात् क्षुद्र जामुन के लिये वृक्ष के महत्वपूर्ण अंग स्वरूप विशाल शाखाओं को ही धराशायी करने का कुटिल विचार यह नील लेश्या का द्योतक है । चित्र में द्वितीय क्रमांक के पुरुष को मध्यम श्याम वर्ण वाला दिखाया है, जो वृक्ष की बड़ी शाखाओं को काट रहा है। इस तरह कई स्वार्थान्ध जीव अपने तुच्छ स्वार्थ के लिये अन्य के महत्वूपर्ण अंगों को नुकसान पहुंचाते हुए जरा भी नहीं हिचकिचाते। इतने में तीसरे पुरुष ने कहा : अरे भाई, वृक्ष की बड़ी टहनियाँ तोड़ने से क्या लाभ? उसके 66

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