Book Title: Jain Tattva Darshan Part 07
Author(s): Vardhaman Jain Mandal Chennai
Publisher: Vardhaman Jain Mandal Chennai

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Page 85
________________ T दिखाई दी । लगभग पृथ्वी के किसी पर्वत की मिट्टी जैसी ही यह मिट्टी भी है । हो सकता है, इस मिट्टी पर कुछ अन्य रासायनिक परिक्षण किए गये हों । यह तो एक कल्पना है। वास्तव में अपोलो यान कहाँ गया, इस संबंध में अगले प्रकरण में विचार किया गया है । (5) अब सरलता से समझ में आये ऐसी यह बात भी समझ लीजिये । पृथ्वी का व्यास 7926 मील तथा चन्द्रमा का व्यास 2160 मील माना जाता है । इसका अर्थ यह हुआ कि पृथ्वी चन्द्रमा से लगभग 4 गुनी बड़ी हुई और चन्द्रमा पृथ्वी से लगभग 4 गुना छोटा हुआ । अब इसे विचार करें कि पृथ्वी से चन्द्रमा तश्तरी जैसा दिखाई देता है तो चन्द्रमा से पृथ्वी उससे चार गुनी बडी एक थाल के बराबर दिखाई देनी चाहिए । यह तो सरलता से समझ में आने वाली बात है । किन्तु अमेरिका से प्रसारित सभी चित्रों में पृथ्वी हमें दिखाई देने वाले चन्द्रमा जितनी ही बडी दिखाई देती है अर्थात् तश्तरी जैसी ही दिखाई देती है । अर्थात् वास्तव में वे जहाँ उतरे थे, वहाँ से चन्द्रमा के ही चित्र लिए हैं जो पृथ्वी के चित्र के नाम से पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं । (6) उसके अलावा अन्य विरोधाभासी बातें उन आकाश यात्रियों द्वारा की गई हैं (1) पृथ्वी चांदी के सिक्के के आकार जितनी (2) पृथ्वी सफेद चमकदार गोले जैसी (3) पृथ्वी टेनिस और गोल्फ की गेंद के बीच के आकार की दिखाई दी । या पृथ्वी से 1,40,000 मील की दूरी पर थे, तब उन्हें पृथ्वी चाँदी के सिक्के जितनी बड़ी तथा 1 लाख मील और दूर जाने पर उससे बडी दिखाई दी । इस विरोधाभासी बात को गंभीरता से सोचने की जरूरत है । (7) हम सबने पढा है कि चन्द्रमा पर प्रचण्ड गर्मी है । वहाँ बरसात होती नहीं है । लावा भी जहाँ उबल कर एकदम सूख गया है। सीसा पिघल जाये ऐसी तीव्र गर्मी है । इसके बाद भी नील आर्मस्ट्रोंग द्वारा कहा गया कि मेरे जूते छ: इंच कीचड़ में घुस गये तथा उसके नीचे की मिट्टी गीली है। इसमें से कौन सी बात सत्य मानी जाये ? (8) चीन के सेम्युअल शेन्ट्रोन का कहना है कि चन्द्रयात्रा के यात्रियों द्वारा लिए गये चित्रों में रूस एवं अमेरिका का झूठ पकड में आ जाता है । कई चित्र तो देखते ही लगता है कि या तो ये स्टूडियों में लिए गये चित्र होंगे या फिर कैमरे के लेंस की विकृति होगी । अमेरिका दुनिया की आँखों पर पट्टी बंधवा रहा है। पृथ्वी को नारंगी जैसी गोल बताने के लिए ये बनावटी कार्य किए गये हैं I I चीन के समान, पाकिस्तान भी चन्द्रयात्रा को एक सरासर झूठ मानता है I ( 9 ) गुजरात समाचार के दि. 24-8-1969 के पृष्ठ 5 में दिये गये चित्र में दो आकाशयात्रियों के बीच ध्वज है । दोनों अवकाश यात्रियों की परछाई है जो मान्यता के अनुसार छ: बड़ी नहीं है । तथा ध्वज एवं उसके दण्ड की तो परछाई ही नहीं है । इससे ज्ञात होता है कि 83

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