Book Title: Jain Tattva Darshan Part 07
Author(s): Vardhaman Jain Mandal Chennai
Publisher: Vardhaman Jain Mandal Chennai

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Page 89
________________ C. समुद्र में आने वाले ज्वार-भाटा का कारण इस चित्र को देखिये । चित्र में समुद्र के ऊपर चन्द्रमा प्रकाशित है, प्रकाश स्तम्भ तथा स्टीमर है । समुद्र में ज्वार आ रहा है । हमें पढ़ाया जाता है, कि चन्द्रमा के कारण समुद्र में ज्वार-भाटा आता है । परन्तु वास्तव में समुद्र में आने वाले ज्वार-भाटा का कारण चन्द्रमा न होकर जंबूद्वीप के बाहर लवणसागर के पाताल कलश है। ये अत्यन्त विशाल पाताल कलश चारो दिशा में चार है तथा उनके बीच लघु पाताल कलश है। इन पाताल कलशों में 1/3 भाग में वायु, मध्य के 1/3 भाग में पानी तथा वायु एवं उपर के 1/3 भाग में पानी रहता है। निश्चित समय में कलशों में भरी वायु का संकुचन-प्रसारण होता है इससे समुद्र में ज्वारभाटा आता है । क्योंकि सभी छोटे बड़े समुद्र अन्तत: लवण सागर से जुड़े है । अब यदि चन्द्रमा के कारण ज्वार-भाटा होता है ऐसा माने तो इरान के उत्तर में कास्पियन सागर है जिसका क्षेत्रफल 3,94,299 वर्ग किलोमीटर है तथा लम्बाई 1199 किलोमीटर है। इसका जल खारा है । इसमें कभी भी ज्वार-भाटा नहीं आता । चन्द्रमा का उदय एवं अस्त तो वहाँ भी होता है | पुन: यदि चन्द्रमा के कारण ही ज्वार-भाटा होता हो तो सरोवर, नदी, तालाब, बावडी, कुंआ, घरो के हौज, मटकी आदि में भी ज्वार-भाटा आना चाहिए । परन्तु ऐसा कभी नहीं होता है..... सगर चक्रवर्ती ने सिद्धगिरी की रक्षा हेतु लवण सागरको जंबूद्वीप में लाया तथा नजदीक में ही रोक दिया । जिससे जिस-जिस समुद्रो का संपर्क लवण सागर से रहा वहाँ-वहाँ ज्वार भाटा आता है तथा जिनका संबंध नहीं है वहाँ-वहाँ नहीं आता है। कास्पियन सागर दक्षिणध्रुव में हजारों मील का विशाल सरोवर है तथा विक्टोरिया झील भी अति विशाल है । परंतु अति विशाल होते हुए भी इन दोनो में कभी भी ज्वार भाटा नहीं आता है क्योंकि ये लवणसागर से जुड़े हुए नहीं है ।

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