Book Title: Jain Tattva Darshan Part 07
Author(s): Vardhaman Jain Mandal Chennai
Publisher: Vardhaman Jain Mandal Chennai

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Page 46
________________ बेल्जियम में इन कोल्डड्रिंक्स शीतपेयों को बेचने व पीने पर प्रतिबंध लगाया गया है। एक आघातजनक बात यह है कि मानव अस्थियों को जमीन में पिघलने में एकाध वर्ष लगता है परंतु शीतपेय में एकाध हड्डी डुबोकर रखो तो 10 दिन के पश्चात् ही चमत्कार देखोगे के हड्डी गलकर प्रवाही स्वरूप परिवर्तित हो जाएगी। 1. पश्चिमी संस्कृति से सीखने योग्य :- स्वीडन की स्कूलों में 3-4 वर्ष के बच्चों को आहार से संबंधित पुस्तक दी जाती है । इस पुस्तक में अमुक प्रकार के आहार ही बालकों को खाने चाहिए-ऐसे चित्र दिये है । चरबी युक्त, तले हुए, चॉकलेट, कोकाकोला, हेन्झनी ब्रांड के टिन पेक फल, केम्पबेल कंपनी के टिन के सूप आदि बच्चों को नहीं खाने चाहिए ऐसी सलाह दी जाती है, जबकी इससे विपरीत भारत में टी.वी. वाले विज्ञापन में भी ऑफिस से पप्पा घर आए तब जेब में से चॉकलेट निकाल कर बताते है, लेकिन ऐसे विज्ञापन स्वीडन देश में टी.वी. पर बताना प्रतिबंधित है। भारत में अंडे, ब्रेड, शक्कर युक्त पदार्थ, बर्फ के गोले आदि लोग खाने लगे ऐसे विज्ञापन टी.वी. पर प्रसारित होते है ? है न आश्चर्य ! अन्य एक बात और भी है कि आन्ध्रप्रदेश के किसान अपने खेतों में कीटनाशक दवा के रुप में कोकाकोला, पेप्सी और थम्सअप का उपयोग करते हैं । किसान कहते है कि बाजार में उपलब्ध पेस्टिसाइड्स की तुलना में ये सोफ्ट ड्रिंक्स सस्ते पडते हैं और परिणाम भी अच्छा मिलता है । इस पानी के छिडकाव से जंतु नष्ट हो जाते हैं । (यह बात पेपर में प्रकट हो चुकी है।) इतने प्रस्तुत प्रमाणों, सच्चाईयों व आधारों पर अब निर्णय आपके ही हाथ में है कि आईस्क्रीम, चॉकलेट, बिस्कुट, शीतपेय आदि का त्याग करना चाहिए या नहीं? 2. मन चाहे जगह पर खाना नहीं : आजकल मानव मन में जो पसंद आए, वह खाने लगा है । जो देखा, प्रिय लगा, भाया उसे पेट में डाला । आधुनिक होटलों, रेस्टोरेंटों, फास्ट फूड (सेन्डविच, पीझा आदि वस्तुओं) के सेन्टरों ने मानव की रसनेन्द्रिय को बहका दी है । एक गोपीचंद ऐसा मिला, कि दुनिया में खाने की जितनी वस्तुएँ बनती है, उन सभी का स्वाद तो चखना चाहिए? जीभ मिली है, तो उसका उपयोग क्यों न किया जाए ? ऐसे मूर्ख को कौन समझाए, कि यह जीभ का उपयोग नहीं, बल्कि दुरुपयोग है। Home to Hotel and Hotel to Hospital. घर से आप भोजन करने के लिए होटल में जाते हो और होटल से हॉस्पिटल में भर्ती हो जाते है, ऐसा होटल का खाना होता है। डॉक्टर ने कहा है, कि ये होटल वाले तो हम पर उपकार करते है । इन लोगों का धंधा धडल्ले से चलें, तो हमारी हॉस्पिटल भी धडल्ले से चलती ही रहेगी, जरा भी चिंता की बात नहीं। 3. कौन बढकर है - पशु या मानव ? : यह मानव ही ऐसा है जो खाने के सभी टेस्ट के लिए उधम करता है। शेष सभी प्राणी सदैव के लिए अस्वादी हैं । आज तक किसी भैंस ने थम्सअप या कोकाकोला नहीं पीया, किसी गधे ने पनीर, पकोडे या पीझा का स्वाद तक न चखा तो खाने का तो प्रश्न ही नहीं । सभी प्रकार के नखरे मानव करता है । बेचारे पशु हरा-सूखा घास खाकर शाम तक 5-7 लीटर दूध देते हैं। यही दूध मानव को पिलाओगे तो वह मल मूत्र के सिवाय दुनिया को कुछ नहीं देता, तो बोलो कौन बढकर 44

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