Book Title: Jain Tattva Darshan Part 07
Author(s): Vardhaman Jain Mandal Chennai
Publisher: Vardhaman Jain Mandal Chennai

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Page 35
________________ 6. नाद - घोष वीर प्रभु का है संदेश, जीने दो और जीओ मानव जीवन का एक ही सार, संयम बिना नहीं उद्धार जैन धर्म छे तारणहार, शरणुं एनुं सो सो वार हरा बगीचा प्यारा है, जैन धर्म हमारा है हम सब की एक आवाज, झगमग चमके जैन समाज आसमन के तारे है, जिनेश्वर हमारे है गुरूजी पधारे हांजी, वाणी में जादु हांजी, लाखों में साधु हांजी, धुमधाम से पधारे हांजी, गुरूजी हमारे हांजी, बडे त्यागी तपस्वी हांजी, बाल ब्रह्मचारी हांजी 8. गुरूजी अमारो पकडो हाथ, भव सागर मा देजो साथ 9. संसार कालो नाग छे, संयम लीलो बाग छे 10. बोल हृदयना जोडी तार, जैन धर्म नो जय जयकार 11. रात्रि भेजन छोडेंगे, प्रभु से नाता जोडेंगे 12. टी.वी. विडीयो ने क्या किया, सब (संस्कारो) का सत्यानाश किया । 7. मेरे गुरू गोचरी के लिए ले जाना पच्चरखाण लेने के पश्चात गुरु भगवंत को गोचरी हेतु पधारने की विनंती करना कि साहेबजी गोचरी बहोरने मेरे घर पधारो । अंग्रेजी कल्चर में पढ़ने वाले बालक समझते नहीं, अत: वे महाराज साहब को कहते हैं कि अंकल ! खाना लेने के लिए मेरे घर आओ न ! ऐसा बोलना उचित नहीं है । यदि गोचरी का समय हो गया हो, तो स्वयं ही गुरु महाराज को साथ लेकर घर दिखायें और यदि समय नहीं हुआ हो तो वापिस बुलाने के लिए आना चाहिए। साथ न ले जाकर मात्र अपना पता : बी-404/डी-404 नंबर, साहुकारपेट आदि बता देना ही उचित नहीं है । अपना और पडोस के अन्य घर भी बताने चाहिए। बाद में गुरु महाराज को वापिस उपाश्रय तक पहुँचाने हेतु साथ में जाना चाहिए। गोचरी बहराने की रीति 1. गुरु भगवंत घर पधारने पर धर्मलाभ बोलें, तब तुरंत अन्य कार्य छोडकर गुरु महाराज के सामने जाए । विनयपूर्वक हाथ जोडकर पधारो-लाभ दीजिए इत्यादि शब्द बोलकर आदर दें, बहुमानपूर्वक अंदर ले जाकर भक्तिपूर्वक गोचरी बहरानी एवं गुरु भगवंत बेहरकर जावे तब फिर पधारना जी लाभ देना जी बोलना चाहिए । 2. गोचरी बहराते समय क्या लूं ? क्या लूं ? ऐसा पूछ पूछ कर नहीं किंतु लीजिए - लाभ दीजिए 33

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