Book Title: Jain Tattva Darshan Part 07
Author(s): Vardhaman Jain Mandal Chennai
Publisher: Vardhaman Jain Mandal Chennai

View full book text
Previous | Next

Page 32
________________ सांसारिक सुख भी कुछ समय के लिए मिल सकता है लेकिन कायम के लिए नहीं । जबकि नमस्कार महामंत्र तो ऐसा अद्भुत और अलौकिक मंगल है कि जिसके प्रभाव से सिर्फ दु:ख ही नहीं बल्कि दु:खों को लानेवाले पाप भी मिट जाते है । यहां तक कि पाप जिन कारणों से बंधते है, ऐसे राग-द्वेष- कामवासना-क्रोध, निंदा, ईर्ष्या, अहंकार आदि दोषों को भी मिटाने की ताकत नमस्कार महामंत्र में है। संसार की वासनाओं को, संसार के प्रति रहे हुए राग को ही नष्ट करने की ताक्त, नवकार मंत्र में है । इसलिए यह सर्वप्रथम और सर्वश्रेष्ठ मंगल है । इस मंत्र का जाप जितना ज्यादा करेंगे उतने हमारे दोष भी दूर होते जाएंगे । जीवन में सद्गुणों का विकास होगा । आत्मा का कल्याण होगा । प्रश्न: नवकार मंत्र गिनने से किसे किसे कितना लाभ हुआ ? उत्तर: नवकार मंत्र का प्रभाव अचिंत्य है । इसके प्रभाव से शिवकुमार को मृत्य के बदले सुवर्ण पुरुष मिला। अमरकुमार को जीवनदान मिला । सुदर्शन राजा की शूली सिंहासन में बदल गई । नवकार के प्रभाव से श्रीमती श्राविका के सामने सांप फूलों की माला में बदल गया । नवकार सुनते सुनते समडी (चील) मरकर राजकुमारी सुदर्शना बनी । ऐसे अनेक दृष्टांत शास्त्रों में है। प्रश्न: नवकार मंत्र की रचना किसने की ? उत्तर: यह मंत्र शाश्वत है । अनादि काल से है । शब्द या अर्थ से इसकी रचना किसी ने नहीं की। प्रश्न: नवकार में कितने पद है ? संपदा कितनी और अक्षर कितने ? उत्तर: नवकार में नौ पद है । आठ संपदाएँ है और 68 अक्षर है । प्रश्न: यदि पद नौ है तो संपदा सिर्फ आठ कैसे ? उत्तर: पद याने, पंक्ति (वाक्य) नवकार में नौ पंक्तियाँ होने से इसके पद नौ हुए । जिन वाक्य रचनाओं से अर्थ जानने को मिलता है उसे संपदा कहते है । नवकार के अंतिम दो पदों का एक साध अर्थ करते है तो एक वाक्य समझ में आता है। पहले सात पदों की सात संपदा और अंत में दो पदों की एक संपदा । इस तरह कुल आठ संपदाएँ होती है । प्रश्न: नवकार के अंतिम चार पदों को क्या कहते है ? उत्तर: नवकार के अंतिम चार पदों को चूलिका कहते है । प्रश्न: चूलिका कितने अक्षरों की है ? उत्तर: चूलिका 33 अक्षरों की है। प्रश्न: पंच परमेष्ठियों के पहले पहले अक्षरों से कौनसा बीज मंत्र बनता है ? और कैसे ? उत्तर: पंच परमेष्ठियों के पहले पहले अक्षरों से ॐ मंत्र बनता है । अरिहंत का अ और अशरीरी (याने सिद्ध) का अ मिलकर आ बनता है । 30

Loading...

Page Navigation
1 ... 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120