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प्रमाणपरिच्छेदाः
साध्य-साधन-दर्शन-स्मरणप्रत्यभिज्ञानोपजनितस्तर्क एव तत्प्रतीतिमाधातुमलम् ।
___ अथ स्वव्यापकसाध्यसामानाधिकरण्यलक्षणाया व्याप्तेर्योग्यत्वाद् भयोदर्शनव्यभिचारादर्शनसहकृतेनेन्द्रियेण व्याप्तिग्रहोऽस्तु, सकलसाध्यसाधनव्यक्त्युपसंहारस्यापि सामान्यलक्षणप्रत्यासत्त्या सम्भवादिति चेत्, न; 'तर्कयामि' इत्यनुभवसिद्धन तर्केणैव सकलसाध्यसाधनव्यक्त्युपसंहारेण व्याप्तिग्रहोपपत्ती सामान्यलक्षणप्रत्यासत्तिकल्पने प्रमाणाभावात्, ऊहं विना ज्ञातेन सामान्येनापि सकलव्यक्त्यनुपस्थितेश्च । वाच्यवाचकभावोऽपि तर्केणैवावगम्यते, तस्यैव सकलशब्दार्थगोचरत्वात् । प्रयोजकवृद्धोक्तं श्रुत्वा प्रवर्तमानस्य प्रयोज्यवृद्धस्य चेष्टामवलोक्य तत्कारणज्ञानजनकतां शब्देव्याप्तिका ग्रहण होता तो है, अतः मानना पड़ेगा कि साध्य-साधनके दर्शन, स्मरण एवं प्रत्यभिज्ञानकी सहायतासे उत्पन्न होनेवाला अर्थात् उपसंहार करनेवाला तर्क ही व्याप्तिका ज्ञान उत्पन्न करने में समर्थ होता है।
शङ्का- स्वाभाविक अव्यभिचाररूप व्याप्ति अगर प्रत्यक्षका विषय नहीं तो न सही, हेतु की अपने व्यापक साध्यके साथ समानाधिकरणता रूप व्याप्ति तो प्रत्यक्ष-योग्य है । क्योंकि इन्द्रिय-द्वारा भूयोदर्शन होता है और व्यभिचारका दर्शन कभी नहीं हुआ तथा सामान्यरूप प्रत्यासत्ति (संबंध) के द्वारा सकल साध्य-साधन रूप व्यक्तियोंका उपसंहार भी प्रत्यक्षसे संभव है । तात्पर्य यह है कि व्यक्तिनिष्ठ सामानाधिकरण्य, व्यक्ति यदि प्रत्यक्ष है तो, प्रत्यक्ष ही है । एक व्यक्तिगत सामानाधिकरण्यका इन्द्रियके साथ सन्निकर्ष लौकिक सन्निकर्ष है। किन्तु अनेक व्यक्तियोंमें समानरूपसे रहनेवाला सामान्य भी तो प्रत्यक्ष होता है और उसका कारण अलौकिक सन्निकर्ष है । अतएव उस अलौकिक सन्निकर्षके कारण साध्य-साधनभूत सकल व्यक्तियोंके सामानाधिकरण्यका भी उपसंहार प्रत्यक्ष ही कर लेगा। अतएव तर्कको पृथक् प्रमाण मानने की आवश्यकता नहीं ।
समाधान-'तर्कयामि' इस प्रतीतिसे तर्क प्रमाण सिद्ध होता है। इसी तर्कसे समस्त साध्य-साधन व्यक्तियोंका उपसंहार हो कर व्याप्तिका ग्रहण होता है। आप जो सामान्यरूप प्रत्यासत्तिकी कल्पना करते हैं, उसकी कल्पनामें कोई प्रमाण नहीं है। सामान्यका ज्ञान हो जाने पर भी तर्कके विना समस्त व्यक्तियोंकी उपस्थिति ग्रहण होना संभव नहीं। वाच्य-वाचकभाव भी तर्क-द्वारा ही जाना जाता है, क्योंकि तर्क ही सकल वाच्यों और वाचकोंको विषय कर सकता है।
___ कोई घटके वाच्य-वाचकभावको न जाननेवाला व्यक्ति 'प्रयोजक वृद्धके मुखसे 'घट' शब्द सुनकर और प्रयोज्य वृद्धकी किसी पदार्थको लानेकी चेष्टा देखकर यह जान लेता है
१ किसी जानकार ने 'कसी जानकारसे कहा-'घट लाओ' यहाँ आदेश देनेवाला प्रयोजकवृद्ध और २ आदेश का पालन करनेवाला प्रयोज्यवृद्ध है।