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किरण १]
जैन-मूर्तिया
जीवराज पापड़ीवालेने सहर मुड़ा से में अगणित जिन-विम्बों को प्रतिष्ठा कराई थी। उनकी प्रतिष्ठा कराई हुई प्रतिमायें सारे उत्तर भारत के जिन-मंदिरों में मिलती हैं। मालूम होता है कि मुसलमान आक्रमणकों द्वारा जिन-मूर्थियों का एकदम संहार हुआ देखकर उनकी पूर्ति के लिये सेठ जीवराज जी ने अगणित प्रतिमायें प्रतिष्ठित कराई थीं। यह उनकी धर्मप्रभावना का विशेष कार्य था। इतिशम् !*
इस लेख सम्बन्धी मूर्तियों के चित्र बृटिश म्यूजियम तथा अलवर्ट म्यूजियम लन्दन के सौजन्य और आज्ञा से प्रकट किये जाते हैं। असली मूर्तियों के फोटो श्रीमान् पण्डित चम्पत राय जी जैन विद्यावारिधि की कृपा से प्राप्त हुए हैं--एतदर्थ हम उनका भी आभारी स्वीकार करते हैं। -लेखक .