Book Title: Jain Kumar sambhava ka Adhyayan
Author(s): Shyam Bahadur Dixit
Publisher: Ilahabad University

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Page 11
________________ (अ) काव्य का स्वरूप तथा उसकी विशेषता काव्य क्या है? अथवा इसका स्वरूप क्या है? निश्चय ही यह अत्यन्त विवादास्पद एवं समस्या पूर्ण प्रश्न है। क्योंकि सर्वप्रथम किसने काव्य निर्माण किया? और कब किया? इसका समाधान असम्भव नहीं तो कठिन अवश्य है। साधारणत: साहित्यशास्त्र समीक्षक 'वाल्मीकि' को 'आदि कवि" और उनकी कृति 'रामायण' को 'आदि काव्य' स्वीकार करते हैं और उसे ही प्राप्त रचना के आधार पर सर्वप्रथम 'महाकाव्य' भी मानते है। इसके पश्चात् वेदव्यासकृत 'महाभारत' आता है, जो द्वितीय महाकाव्य है जिसके विषय में वह उक्ति प्रसिद्ध है- "यदि हास्ति तदन्यत्र पन्ने हास्ति न तत् क्वचित्"। ‘मनुष्य सर्वश्रेष्ठ प्राणी है और सर्वाधिक चेतन एवं अनुकरणशील भी'। अब तक किये गये साहित्यिक सर्वेक्षणों के आधार पर यह निष्कर्ष सहज ही प्राप्त होता है कि 'प्रकृति मनुष्य की सहचरी है' और उसकी सर्वाधिक विशेषता है- परिवर्तनशीलता। 'परिवर्तन विकास का मूल है' और इसी लक्ष्य (विकास) की प्राप्ति हेतु मनुष्य सतत् प्रयत्नशील रहा है। यदि यह कहा जा सकता है कि वह अपनी सहचरी के प्रत्येक परिवर्तन पर दृष्टिपात करने में समर्थ नहीं है, तो इतना निश्चयपूर्वक कहा जा सकता है कि प्रकृति का प्रधान परिवर्तन उसकी दृष्टि से ओझल नहीं रहा। किन्तु सर्वप्रथम वह अपने मन की स्वाभाविक प्रवृत्तियों के कारण विकल था अर्थात् “मानव मन अपने आप को व्यक्त करने के लिए आकुल रहता है, वह अपने को अनेक हृदयों में अनुभूत

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