Book Title: Jain Gitavali
Author(s): Mulchand Sodhiya Gadakota
Publisher: Mulchand Sodhiya Gadakota

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Page 21
________________ जैन गीतावली॥ womecomwwwm-am (नम्बर १) (विलवारी चाल "हां" विवाह में) प्रथमरि सुमति जिनेश्वर ध्याऊ, गुन गणधरहिमनाऊं कि हांजू ॥ टेक ।। सार देव सुमती देउ मोमों दुर्मति के गुण गाऊं कि हांजू ।। गारी एक मुनहु तुम चेतन सुनत श्रवण सुखदाई कि हांजू ॥१॥ तुह्मरी नारि बुरे ढंग लागी समुझन नहिं समझाई कि हांजू ॥ अति परपंच भई दारी डोले जोवन की मतवारी कि हांजू ॥२॥ पंचन तें दारी रति मानत कान न करहि तुह्मारी कि हांज । काम क्रोध दोई जन खोटे जासु वुलावन हारी कि हांजू ॥३॥ राजा मनमोहन ते विगरी मन फुसलावन हारी कि हांजू ॥ इनतो लाज तजी पंचन की ज्यों गनिका जगनारी कि हांज ॥ ४॥ घाट करम की यहिन कहावत अपजस की महनारी कि हांजू॥सात व्यसन की दती चंचल चनन नारितुम्मारी कि हांजू ॥५॥ या चंचल यारे की निगरी अय क्यों

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