Book Title: Jain Gitavali
Author(s): Mulchand Sodhiya Gadakota
Publisher: Mulchand Sodhiya Gadakota

View full book text
Previous | Next

Page 105
________________ (१००) गीत (जन्म समय का) लिया श्राज प्रभूजीने जन्म सखी चलो अवध पुरी गुन गावन को ।। टेक ॥ तुम सुनौरी सुहागिन भाग भरी चलो मुतियन चौक पुरावन कौ ॥१॥ सुवरण कलश धरौ शिर ऊपर जल त्यावें प्रभु न्हावन को ॥२॥ भर भर थाल दरव ले २ कर चलो री अर्घ चढावन को ॥३।। नैनानंद कहै सुन सजनी फिर नहि अवसर प्रावन को॥४॥ (१०१) (घोरी-सुनौजू की चाल-विवाह में ) __झूनागढ़ से तेजन आई दूलह खेंच वुलाई सुनौजू ॥ पांव पैजना जराव के सोह मुख कंचन कर हार सुनौजू॥ अंगारी पिछाडी रेशम की सोहै मलयागिर की मेख सुनौजू ॥ पीठ पलेंचा जीन जरदको मुहरा रतन जड़ाव सुनौजू॥ झूनागढ़ तें तेजन आई दूलह करत सिंगार सुनौजू ॥ इह तेजन मेरो चढे हो लाड़लौ तिहि कारण इह आइ सुनौजू ॥ पाखर डार ठाड़ी बछेरी दुल्लह करत सिंगार सुनौजू ॥ पाग जरकसी वागौ पहिरं फैंटा झालावार सुनौजू ॥ पांवन मोजे जराव के सोहें पगरख की छवि न्यारि सुनौजू ॥ पांचों कपड़ा पहिर

Loading...

Page Navigation
1 ... 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117