Book Title: Jain Gitavali
Author(s): Mulchand Sodhiya Gadakota
Publisher: Mulchand Sodhiya Gadakota

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Page 33
________________ भाले २ चन्दन कटाये के ये प्रमु झांझरिया ॥ अच्छी भार पलकियां गड़ाव मुमति प्रभु मांझरिया ॥२॥ अच्छी मित्रवन भँवर मुंश्राव कि ये प्र झाझरिया ॥ अच्छी नियत रेशम पाट सुमति प्रभु झाझरिया ॥३॥ अड़वायन दई मखतृल कि ये प्रभु झांझरिया ॥ घरी अलम शाही गंडवा सुमति प्रा झांझरिया ॥ ४ ॥ ना पौड़ी शिव देवी माय कि ये प्रभु प्रांमरिया ॥ जन्म श्रीनेमकुमार सुमति प्रभु झांझरिया ॥५॥ काईके श्रोलक थाधियो यमसु झाझारया || अच्छ गगनांक अोलक यांधे सुमति प्रभु झांझरिया ॥ ६ ॥ अम काईके यंधनवार तो ये प्रभु झांझरिया । पाछे फूलोंके यंधनवार सुमति प्रभु झांझरिया ॥७॥ काहेके छुरा नरा चीरियो ये प्रच झांझरिया ॥ सोनेके हरा नरा चीरियो ये प्रमु झांझरिया ॥८॥ सो ती काईके खप्पर ग्नान तो ये प्रच झांझरिया ॥ श्राई रूपेके खप्पर स्नान सुमति प्रभु झांझरिया ॥ ९॥ उरहीके सूप मजोडया ये प्रभु झांझरिया ॥ श्रम मुतियोंके अमन टाल सुमति प्रच झांझरिया ॥१०॥मो ना घर २ उँटवारी भरगयी ये प्रभु झांझरिया ॥ सो तो इलियों में भरगई दय समनि प्रभु झाझरिया ॥ ११॥ मो ती घर घर गायें गोगनी ये प्रभु झांझरिया ।। सो नी मंगल गीत अपार

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