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वशरण सब देवन रचियौ रतनन जड़े जडाई, अरी मा रतनन जड़े जडाई ॥२॥ अाठ दरव लै पूजा कीन्ही मन बांछित फलदाई, अरीमा मन वांछित फलदाई॥३॥ आपुनि जाय चढे गिरनारी सुधि मेरी विसराई, अरी मा सुधि मेरी विसराई ॥४॥
(७७)
(दादरा-हरसमय) अरी तुम कौन हो प्यारी, फुलवा बीनन हारी ॥ टेक ॥ काहे को तारो बनौ बगीचौ काहे की है फुलवारी ॥१॥ रतन जड़त को बनौ बगीचौ फूल रही फुलवारी ॥२॥ समुद् विजय जी ससुर हमारे उग्रसैन धिय प्यारी ॥ ३ ॥ नेमनाथ जी पती हमारे हम हैं राजुलनारी ॥४॥ इतै द्वारका इत भूनागढ़ मध्य शिखर गिरनारी ॥५॥ गिरवर अरज करत प्रभुजी से तारौ मोहि भव तारी॥६॥
(७८)
(दादरा-हरसमय) सकल सुख केरा,सुनिये प्राणी सकल सुख केरा ॥ टेक॥ सात तत्व नव पद षट कायिक जीव और बहुतेरा ॥ सुनिये प्राणी०॥१॥थावर पंच एक त्रस ऊपर धारी दद्या सवेरा, सुनिये प्राणी०॥२॥ विकलत्रय दो, तीन, चौइन्दी तिनको कर निरवेरा, सुनिये प्राणी ॥ ३॥ सैनी