Book Title: Jain Gitavali
Author(s): Mulchand Sodhiya Gadakota
Publisher: Mulchand Sodhiya Gadakota

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Page 65
________________ ४५ ( ४८ ) ( " जात करम कोपनियां" की चाल व्याहमें ) सुघर चेतन यहु पनियां को निकरी पीछे कर्म लगेयां कि भाई मेरे जात करम कोपनियां ॥ १ ॥ माँग में आय गये सुधर चेतन राय हलकों उठाय लई कंईयां कि भाई मेरे ॥ २ ॥ छोड़ा २ तुम मोरे करम हो अब नहिं मुख दिखेंयां कि भाई मेरे ॥ ३ ॥ व तो कैसे छोड़ों चेतनराय तुम को शुभ गति नईयां कि भाई मेरे ॥ ४ ॥ हीन बुद्धि अरु कवि लघुताई देवीदास कहां कि भाई मेरे ॥५॥ ( ४९ ) ( " जात करम कोपनियां " की चाल व्याह ) ऐसे चेतनराय पनियाँको निसरे जान करम कोपनियां, कि धीरें २ जान करम कोपनियां ॥ टेक ॥ रान दिवस दिनरैन घड़ी पल बीनत आयु बहनियां कि धीरें २ ॥ १ ॥ आठ करम भाग दुखदाता जे भव २ भरमनियां कि धीरें २ ॥ २ ॥ नर्क, तिथेच, देव, मानुष जे चारों गति भटकनिया कि धीरें २॥ ३ ॥ सप्त तन्त्र नय द्रव्य पदारथ इन सरधा ज करइयाँ कि धीरे २॥ ४ ॥ पंच मिध्यात्व पंच पापनको मन, वच, तन नाज़नियां कि धीरें २ ॥ ५ ॥ जयहि चेनन तुम पंचम पार्टी मुक्त वधू साजनियां कि धीरें २॥ ३ ॥ तानें चेनन सुरत

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