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जैन दर्शन में कर्म-सिद्धान्त-एक अध्ययन जैन दर्शनानुसार वर्तमान पुरूषार्थके द्वारा पूर्वबद्ध कर्मों में परिवर्तन किया जा सकता है, इसी कारण आचार्यों ने नवीन कर्मपुद्गलों के प्रवाहको रोकने के लिए संवर पथ और पूर्वबद्ध कर्मों का समूल नाश करने के लिए निर्जरा पथका दिग्दर्शन कराया है। इनका वर्णन आगे षष्ठ अध्यायमें किया गया है ।
3. That is why the acaryas have asked us to exert and stop the inflow of fresh
Karmic matter and also to annihilate the previous Karmas. Ibid. P. 63. २. कर्म मुक्तिका मार्ग, अध्याय ६
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