Book Title: Jain Darshan me Karma Siddhanta Ek Adhyayana
Author(s): Manorama Jain
Publisher: Jinendravarni Granthamala Panipat

View full book text
Previous | Next

Page 241
________________ वेदान्तसार वैशेषिक सूत्र श्वेताश्वतर उपनिषद् प्रवचनसार श्रावक प्रज्ञप्ति षदखण्डागम षड्दर्शन सम्मुचय सप्तभंगीतरंगिणी समणसुत्तं समयसार (VII) सदानन्द योगी, लोक भारती प्रकाशन, इलाहबाद १९६८ प्रशस्तपाद भाष्य, बनारस १९२३ ईशादिनो उपनिषद्, गीता प्रेस गोरखपुर, वि०सं० २०१० उमास्वाति, बम्बई वि०सं० १९६१ आचार्य पुष्पदन्त व भूतबलि, धवला टीका सहित अमरावती, १९३९ आचार्य हरिभद्र सूरि; भारतीय ज्ञानपीठ, १९८१ श्री विमलदास, परमश्रुत प्रभावक मंडल. वि०सं०१९७२ सर्वसेवासंघ, वाराणसी, १९७५ श्री कुन्दकुन्दाचार्य, अहिंसा मंदिर प्रकाशन ,देहली, १९५८ श्री पूज्यपादस्वामी, वीरसेवा मंदिर, निर्वाण सं० २०२१ माधवाचार्य, पूना, १९५१ आचार्य पूज्यपाद, भारतीय ज्ञानपीठ ई० १९५५ श्री ईश्वरकृष्ण, डॉ० ब्रजमोहन चतुर्वेदी, अनुराधा व्याख्या, दिल्ली १९७६ वाचस्पति मिश्र, पूना १९३४ आचार्य अकलंक भट्ट; भारतीय ज्ञानपीठ ई०१९५१ आत्माराम, जैन प्रकाशन समिति, लुधियाना,वि०सं० २०३२ आचार्य मल्लिषेण; परमश्रुत प्रभावक मंडल, बंबई वि०सं. १९९१ आचार्य समन्तभद्र; वीर सेवा मंदिर, सरसावा ई० १९५१ समाधिशतक सर्वदर्शन संग्रह सर्वार्थसिद्धि सांख्यकारिका सांख्य तत्त्व कौमुदी सिद्धि विनिश्चय स्थानांग सूत्र स्याद्वाद मंजरी स्वयम्भूस्तोत्र हिन्दी ग्रन्यआत्मा राम जैन तत्त्वकलिका, आत्म ज्ञानपीठ, मानस मण्डी, पंजाब, १९८२ Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 239 240 241 242 243 244