Book Title: Jain Darshan me Karma Siddhanta Ek Adhyayana
Author(s): Manorama Jain
Publisher: Jinendravarni Granthamala Panipat

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Page 240
________________ (VI) पंचास्तिकाय पद्मनन्दि पंचविंशतिका परमात्म प्रकाश पुरुषार्थ सिद्धयुपाय प्रवचनसार बारस अणुवेक्खा भगवद्गीता भगवती आराधना मनु स्मृति महापुराण मुण्डकोपनिषद् श्री कुन्दकुन्दाचार्य; परम श्रुत प्रभावक मंडल बंबई वि०सं० १९७२ आचार्य पद्मनन्दि; जीवराज ग्रन्थमाला, ई०१९३२ आचार्य योगेन्दु देव; राजचन्द्र ग्रन्थमाला, वि०सं० २०१९ आचार्य अमृतचन्द, रोहतक, सन् १९३३ श्रीकुन्दकुन्दाचार्य; परमश्रुत प्रभावक मंडल, अगास १९८४ कुन्दकुन्दाचार्य, रोहतक, वी०नि०सं० २४७९ गीता प्रेस गोरखपुर, वि०सं० २०२८ आचार्य शिवकोटि; सखाराम दोशी, सोलापुर ई० १९३५ आचार्य मनु, बंबई १८९४ आचार्य जिनसेन; भारतीय ज्ञानपीठ काशी, ई० १९५१ ईशादिनौ उपनिषद, गीता प्रेस गोरखपुर, वि०सं० २०१० आचार्य कुन्दकुन्द, अनन्तकीर्ति ग्रन्थमाला, वि०सं० १९७६ महर्षि पतंजलि, गीताप्रेस गोरखपुर, वि०सं०२०१३ श्री समन्तभद्राचार्य; हुम्बुज श्रमण सिद्धान्त पाठावलि, जयपुर, १९८२ श्रीअकलंकभट्टाचार्य;भारतीयज्ञानपीठ, वि०सं०२००८ आचार्य नेमिचन्द्र-सिद्धान्तचक्रवर्ती, परमश्रुत प्रभावक मंडल, अगास, १९८० आचार्य वसुनन्दि, भारतीय ज्ञानपीठ, काशी, वि०सं० २००७ श्री नेमिचन्द्राचार्य-ब्रह्मदेव टीका, परमश्रुत प्रभावक मंडल, अगास, सन् १९७९ गुरु श्री चतुर्विजय; पुण्य विजय, भावनगर, १९३३ मूलाचार योगसूत्र रत्नकरण्ड श्रावकाचार राजवार्तिक लब्धिसार वसुनन्दि श्रावकाचार वृहद् द्रव्यसंग्रह वृहत् कल्पभाष्य Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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