Book Title: Jain Bhajan Ratnavali
Author(s): Nyamatsinh Jaini
Publisher: Nyamatsinh Jaini

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Page 10
________________ ६ जय श्री विमल विमल करतारा । अष्ट करय कल मल हरतारा ॥८॥ जम अनंत भगवंत जिनेशा। परम ब्रह्म ईश्वर परमेशा ।। जय श्री धर्म धर्म अनुरागी । केवल धान कला उर जागी ॥॥ जय श्री शान्त अतिशान्त स्वरूपी । एक रूप का रूप अरूपी ॥ जय श्री कुंथ कंथ शिवरानी । तीन जगत पति पत जिन बानी ॥१०॥ जय अरह अरिदल राव कारी। तारन भनुरागी सागारी॥ जय श्रीमल करन मुख काजा । 2 श्रीकर भीधर श्री जिन राजा ॥१॥ जय श्री मुनि सुबन जिन राई। अव्रत नाशक सुव्रत दाई ।। जय नमिनाथ नाथ संसारी। " लोकालोक विलोक आंवकारी ॥१२॥ जय श्रीनेम हरी कुल भूषण । . जीवन मुक्ति विगत सब दूषण ॥

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