________________
३१
याद है सब बस्के रुहानी मुझे।
साक समझे अक्ल इन्सानी मुझे ॥ १॥ परी पर ऐब से हर हाल में ।
हो नहीं सकती पशेमानी मुझे ॥२॥ वह पकाई मिटा सक्ते मही।
आग मिही और दवा पानो मुझे ॥३॥ आत्माई देख कैसी चीज़ हूं।
प्राण से प्यारा समझ ज्ञानी मुझे ॥४॥ ' हो नहीं सकता झुक्के कोई परण ।
चा करेगी तिचे यूनानी मुझे ॥५॥ हर तरको राज मेरा दहर में।
हर वरह हासिल है आशानी मुझे ॥६॥ आना और रहे पाक हूं ।
फिर न कहना कोसरी, फानी मुके ॥७॥
(राग) पाली (ताल) कहरवा (चाल) है पहारे घाग
__ दुनिश चंद रोज हूं मैं दूर है मैं न हूं। नेस्ती से दूर हूँ मैं दूर हूँ ॥१॥