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(राग) वाली तुमसे
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व ) का
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हो नहीं सकता ।
कहीं रूहे मुकद्दस कही हिन्दू का मन
मैं
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कही वेदोका पति हूँ की उस्ताद कुरो हु । कहीं ही धर्म हिन्दू का की मुलईमां हूँ ॥ २॥
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न कुछ है इनदा मेरी न कुछ है इन्तहा मेरी ।
इलाजे दर्द दिल
( राग ) काली ( ताल :
तुम से
कभी मशरक में जादि न मिट्टी से हुआ पैदा न मिट्टी में मिलूंगा फिर । कभी मैं मा तावह कभी महरे दरखुराा हूं ॥ ३ ॥
कधी एक मान्सा है मैं | में कफ कुलमां है ॥ श
आत्मा अय कसरी जिसकी नही मत्यु : वातिन रे कामिह बाद एक इन्सां है ॥ ५ ॥
नहीं इतनी ख़बर मुझको
भी गवि में पिनां हूं ॥२॥
घर
हवा (नाल ) इर्द दिल
हो
सकता ॥
मैं हूँ
कही हूं यात्मा देखो कहीं रूहे जहां मैं हूँ ॥
मैं हूँ ।
१ ॥