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न्यामत वहिरातम गति तजदे, अन्तर आतम होय ।
श्रव बंध मिटादे दोनों,
परमातम पद होय ॥ ४ ॥
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(राग) कवाली ( ताल - रूपक) (चाल) कौन कहता है मुझे मैं नेक अतवारों में हूँ ॥
नोट -- भारत का केकई से नाराज़ होना और रामचन्द्र जी के बनोनास जाने पर रंज करना ॥
जमीं मुझको छुपाले मैं गुनहगारों में हूं' । टूट कर गिरजा फलक मैं श्राज दुखियारों में हूं ॥ १ ॥ किस तरह दिखलाऊं अपना मुंह जगत् के सामने ।
केकई माता की करनी से शरम सारों में हूं ॥ २ ॥ अय मेरी माता तेरी दुनियां से न्यारी है मती ।
तेरे कारण आज मैं देखो खतावारों में हू ॥ ३ ॥ छाया अन्धेर और घर घर में मातम पड़गया ।
देख हालत रंजोगम के मैं गिरफ्तारों में हू ॥ ४ ॥ रघुकुल के आज दो शमशो क़मर जाते रहे ।
रहगया कम्बख्त मैं किस्मत से लाचारों में हूं ॥ ५ ॥