Book Title: Jain Bhajan Ratnavali
Author(s): Nyamatsinh Jaini
Publisher: Nyamatsinh Jaini

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Page 51
________________ ५२ (राग) छाया लघत्य देश (ताल) फहरवा (चाल) चादर झीनो राम, रामनाम रस भीनी ॥ चेतन देले दान, हां हां चेतन देले दान, मान मान यश लेले ॥ टेक ।। ग्राम ग्राम में सोल मदरसे, दुक विद्या का देले दान ।। नगरूनगर में कालिज रचकर, नर भव का फल ले ले लेले लेले मान ।। १ ॥ गली गली सरस्वती भंडारा, कर कर पुस्तक मेले मान । दूर करो पाखंड जगत का, जान सिखा कर चेले चेले चेले मान ।। २।। पर घर में जिन शाखन चरचा, आठ पहर हर वले मान। वामत तज मालस पारस क, चरण कमल को सेले सेले सेले मान ॥ ३ ॥ (राग) टोला (नाल) फारया (चाल) साँवरिया ढोला भान तो जगाई मेरी नींद में । भरी हारी बहनो भोजन ना कीजे प्यारी रानको ॥ टेका।

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