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नाम अपना क्या बताऊ कौसली ।
मात्मा हूं और रूहे पाक हूं ॥ ७ ॥
(राग) कगनी (नाल) कहरया ( चाल । है वहारे बाग
दुनिया चंद रोज़। है सपा और बरामर आत्मा ।
सात तत्वन में हूँ बस्तर मात्मा ॥१॥ मैं मुसतमानों में रहे पाफ हूँ। __न्दुिओं में है पवित्तर आत्मा ॥२॥ आंख हो या कानो या नाक हो ।
सर हवासों की है अफसर प्रात्मा ॥३॥ तन कसीफ और रूह हैं बिलकुल लतीफ ।
जिस्म कांटा है गुलेतर आत्मा ॥४॥ रूह यह नूरे तजल्ली हैं कहीं।
है कहीं खुर्शीद खाबर आत्मा ॥ ५ ॥ है शरर यह रूह पत्थर जिस्म है।
है वदन तलवार जौहर नात्मा ॥ ६ : गर कोई पूछे तो कहनौसरी
आत्मा है और मुकर्रर आत्मा ॥ ७ ॥